Thursday 30 December 2010

वर्ष २०१० : कोडरमा जिले के कई मामले चर्चित हुए

कोडरमा जिले के कई मामले वर्ष 2010 में राज्य और देष स्तर पर भी चर्चित हुए। इनमें सर्वाधिक चर्चित मामला निरूपमा की संदेहास्पद मौत और 8 वर्षीय अमन की नरबलि रहा। इसके अतिरिक्त सैनिक स्कूल तिलैया का अष्लील एमएमएस कांड, कोडरमा में सडक दुर्घटना में आठ लोगों की मौत, मेघातरी में राजो लाल और झुमरीतिलैया में दवा विक्रेता चन्द्रषेखर पांडेय की हत्या, मेघातरी में निर्माणाधीन पुल स्थल से तीन लोगों का अपहरण, झुमरीतिलैया से ससुर दामाद का अपहरण की घटना भी काफी चर्चित रही। जियोरायडीह में दो बिरहोर बच्चों और उनकी मां की जलने से हुई मौत का मामला भी राज्य स्तर पर चर्चित रहा। वहीं ढिबरा पर लगे रोक के खिलाफ भाकपा माले के प्रदर्षन और समाहरणालय परिसर में तोडफोड की घटना तो साल के अंत में 334 क्रषरों में तालाबन्दी की घोषणा भी यहां के लोगों में चर्चा का विषय बना। इस साल ग्रामीण सरकार बनने की राह बनी और पंचायत चुनाव ने लगभग दो महीने तक ग्रामीण गतिविधियों को यहीं तक सीमित रखा तो वहीं जून में नगर निकाय चुनाव हुआ जिसमें झुमरीतिलैया और कोडरमा प्रभावित रहा। जयनगर प्रखंड मुख्यालय 4 अक्टूबर को भाजपा कार्यकर्ताओं द्वारा तालाबन्दी की कार्यवाई भी खासी चर्चित हुई। दिसम्बर माह में 26 तारीख को बरियारडीह में ठंढ से दो बिरहोर बच्चों की मौत का मामला भी राज्य स्तर पर चर्चित रहा। इस साल भाजपा नेता खेम सिंह के असामयिक निधन ने भी शहरवासियों को रूलाया।
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समय बीतता गया और उलझती गयी गुत्थी
निरूपमा के मौत की मिस्ट्री छह महीने बीत जाने के बाद भी नहीं सुलझ पायी है। पहले करंट से हुई मौत और फिर उसे फांसी लगाकर आत्महत्या बताये जाने के विवाद और फिर निरूपमा के प्रेमी प्रियभांषु द्वारा उसके आनर किलिंग के आरोप से चर्चित हुए इस मामले में हर बार कुछ नया खुलासे का दावा तो किया जाता रहा है। हांलाकि वह दावा बाद में वहीं तक सिमटकर रह गया। शुरू से पुलिस की गलतियों की वजह से साक्ष्यों में भी छेडछाड होती रही तो वहीं आपाधापी में निरूपमा की मां को हत्या के शक में कोडरमा जेल भेजे जाने से पुलिस की ही किरकिरी हुई। विवादित पोस्टमार्टम रिपोर्ट ने जहां मामले को और उलझाया तो वहीं झुमरीतिलैया में सुधा पाठक और परिजनों के पक्ष में जुलूस निकालकर दबाव बनाने का भी काम हुआ। यानि हर जगह विवादों ने इस मामले को थामे रखा। जांच में सुसाइड नोट की राइटिंग निरुपमा की बताई गई तो उस दुपट्टे से भी महत्वपूर्ण साक्ष्य फॉरेंसिक टीम को हाथ लगने का दावा किया गया, जिस पर झूलकर निरुपमा के जान देने की चर्चा थी।
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अपहरण की घटनायें भी हुई
साल 2010 में जिले में अपहरण की भी कई घटनायें हुई। कोडरमा थानांतर्गत मेघातरी करहरिया पुल निर्माण साइट से गत 9 जुलाई को अगवा किये गए तीन कर्मियों कृष्णा तिवारी, संजय तिवारी और दिलीप मिस्त्री को 10 दिन अपराधियों ने मुक्त किया। वहीं माइका व्यवसायी राधेष्याम मोदी और उनके ससुर झुपरू मोदी के भी अपहरण की घटना हुई। इसके अलावा झुमरीतिलैया से एक बच्चे का अगवा किया गया तो 31 जुलाई को इंदरवा बस्ती से विषुनदेव सिंह के पुत्र प्रिंस का अपहरण किया गया।
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अमन हत्याकांड ने लोगों को झकझोरा
21वीं सदी में भी नरबलि की प्रथा चालू है, कोडरमा जिले के पुरनाडीह में ईष्वर साव के 8 वर्षीय पुत्र अमन का अपहरण कर उसकी नरबलि दे दिये जाने की घटना ने लोगों को झकझोर कर रख दिया। आज भी इस घटना को याद कर लोग सिहर उठते हैं। रामनवमी के दौरान 20 मार्च को गायब हुए अमन की हत्या का राज जब सामने आया तो स्पष्ट हुआ कि गांवों में अंधविष्वास अब भी पूरी तरह कायम है। इस मामले में आठ लोगों को पकडा गया जिनमें बालक के पडोसी भी शामिल हैं। सभी आज भी कोडरमा मंडल कारा में बन्द हैं।

Wednesday 29 December 2010

ठंड में बिरहोरों की स्थिति हुई दयनीय, नहीं ली किसी ने सुध


सरकार के लाख प्रयास के बावजूद जिले के जंगली क्षेत्र में बसे आदिम जनजाति बिरहोरों की स्थिति नहीं सुधरी है। सरकार द्वारा संचालित कल्याणकारी योजनाओं का लाभ इन्हें सही ढंग से नहीं मिल पा रहा है। इसका ज्यादातर लाभ बिचैलिये उठा रहे हैं। झुमरीतिलैया के सुदूरवर्ती क्षेत्र झरनाकुंड में इस भीषण ठंड में बिरहोरों की स्थिति काफी खराब है। यहां ठंड के कारण कई बिरहोर महिलाएं बीमार हैं। वहीं जयनगर प्रखंड के डंडाडीह के समीप जंगल की तराई में स्थायी रूप से बसे बिरहोर परिवार की स्थिति बदतर बनी हुई है। इन बिरहोरों के पास न तो रहने के लिए घर और न ही सोने के लिए बिस्तर। जमीन पर सोना और दूषित पानी पीना इनकी नियति बन गई है। फटेहाली जिंदगी जीने के लिए ये विवश हैं। कंपकंपाती ठंड से मंगरी बिरहोरिन बीमार है। मंगरी कहती है कि जाड़ा खत्म होय तो कंबलवा सरकार देतय तो का कर बै। भर ठंडा कंपकंपात हिय। वहीं अर्जुन बिरहोर, अशोक बिरहोर, रामेश्वर बिरहोर कहते हैं कि प्रशासन के पास कई बार वो घर के लिए चक्कर काट चुके हैं। उन्होंने कहा कि हम अपने बच्चों को पढ़ाना चाहते हैं परंतु स्कूल की व्यवस्था नहीं है। लोगों ने कहा कि एक माह से ऊपर होने के बाद भी जनवितरण प्रणाली दुकानदार शशिभूषण साव द्वारा अनाज नहीं दिया गया है जिससे भूखमरी के कगार पर हैं। यही हाल गड़ियाई स्थित 25 बिरहोर परिवारों की है। यहां भी ठंड से बिरहोर जनजाति कांप रहे हैं। लकड़ी और रस्सी बेचकर गुजर-बसर कर रहे हैं। डंडाडीह में बीडीओ ने मंगलवार की रात्रि 7 बजे पहुंचकर लोगों के बीच कंबल वितरण किया और बीमार बिरहोरिन मंगरी की स्थिति का जायजा लिया। मंगरी बिरहोरिन ने बताया कि अभी तक कोई चिकित्सक नहीं पहुंचे हैं। इधर, मरकच्चो में पिछले एक सप्ताह से पड़ रही ठिठुरन वाली ठंड से बरियारडीह स्थित बिरहोर कालोनी में दो बच्चों की मौत हो गई थी तथा दर्जन लोग बीमार हो गए थे।

Saturday 25 December 2010

पावर हब और एजुकेशन हब के रूप में मिलेगी कोडरमा को पहचान


संजीव समीर
कोडरमा, 25 दिसम्बर
कोडरमा के लिए नया वर्ष कई नई सौगातें लेकर आ रहा है। जहां कोडरमा में बांझेडीह पावर प्लांट शुरू होने से यहां रोजगार के अवसर बढेंगे, वहीं कई अन्य योजनाएं भी इस प्लांट के साथ कार्यान्वित होंगी। केटीपीपी के परियोजना निदेशक जी. एन. सिंह ने बताया कि प्लांट शुरू होने के बाद इस क्षेत्र को हरित क्षेत्र परियोजना से जोड़ा जाएगा, जिसके तहत संयत्र की परिधि के सौ मीटर चैड़ा हरित क्षेत्र विकसित किया जाएगा। इसमें वृक्षारोपण व वनीकरण किया जाएगा। इससे प्रदूषण से लोगों को राहत मिलेगी। वहीं इस योजना में आइटीआई कालेज, अस्पताल, स्कूल, मार्केट कांप्लेक्स, हाईटेक कालोनी, बैंक की बिल्डिंग बनाई जाएगी। इन विकास योजनाओं से कोडरमा आने वाले समय में पावर हब के रूप में विकसित होगा तो होगा ही, साथ ही एजुकेशनल हब के रूप में भी जाना जाएगा। फिलहाल, बेहतर चिकित्सा व्यवस्था के लिए कोडरमावासियों को पटना या रांची जाना पड़ता है। यहां पर जिस अस्पताल की परिकल्पना की गई है। वह सभी सुविधाओं से सुसज्जित होगा और यहां के लोगों का बेहतर इलाज यहीं पर मुमकिन हो सकेगा। जहां तक रोजगार की बात है, तो पावर प्लांट में 800 लोगों को रोजगार देने की योजना है। इनके अलावा, ऐसे कई सब-ऑर्डिनेट बनेंगे, जो रोजगार के नए-नए अवसर सृजित करेंगे। विशेषज्ञ के अनुसार अबरख का व्यवसाय बंद हो जाने के बाद कोडरमा में आय का स्रोत बढ़ाने में केटीपीपी का महत्वपूर्ण योगदान होगा। स्कूल और आइटीआई संस्थान की स्थापना से यहां के छात्रों में काफी उत्साह है। उनका मानना है कि बेहतर और तकनीकी शिक्षा के लिए यह संस्थान काफी उपयोगी होगा। फिलहाल, कोडरमा में खनन संस्थान चल रहा है। जहां से तकनीकी शिक्षा प्राप्त कर लोग देश स्तर पर अपना नाम रोशन कर रहे हैं। सुविधाओं का घोर अभाव झेल रहे कोडरमा में केटीपीपी निर्माण के बाद नए वर्ष में नया सवेरा देखने को कोडरमावासी आतुर हैं।
केटीपीपी बनेगा झारखंड का सबसे बड़ा विद्युत उत्पादन केंद्र
केटीपीपी परियोजना झारखंड की सबसे बड़ी विद्युत उत्पादन परियोजना है, जिसका निर्माण कार्य अब अपने अंतिम चरण में हैं। 30 दिसंबर को इतिहास के पन्नों पर अपना नाम दर्ज करवाते हुए इस परियोजना के पहले यूनिट (500 मेगावाट) के ब्लॉयलर की सफलतापूर्वक टेस्टिंग की गई। इसकी चिमनी से निकलते काले धुंएं ने कोडरमा में अंधकार के बाद प्रकाश की शुरूआत कर दी है। झारखंड में फिलवक्त दामोदर घाटी परियोजना (डीवीसी) की पांच परियोजनाएं चल रही हैं, जिनमें तीन पनबिजली विद्युत उत्पादन परियोजना हैं। इनमें मैथन, पंचेत व तिलैया डैम शामिल हैं। मैथन में 60 मेगावाट विद्युत का उत्पादन होता है, जबकि पंचेत से 80 मेगावाट व तिलैया डैम से चार मेगावाट विद्युत का उत्पादन होता है। डीवीसी की अन्य परियोजनाओं में बोकारो थमर्ल पावर से 630 मेगावाट विद्युत उत्पादन होता है, जबकि चंद्रपुरा थर्मल पावर में 390 मेगावाट पुराने यूनिट से और 500 मेगावाट विद्युत नए यूनिट से उत्पादित किया जाता है। वहीं कोडरमा सुपर थर्मल पावर प्लांट की बात करें, तो यहां पर 500-500 मेगावाट की दो यूनिटें निर्माणाधीन हैं, जो इसी वर्ष शुरू हो जायेंगी। शुरूआती दौर में यहां की बिजली दिल्ली में समाप्त हो गए कॉमनवेल्थ में पहुंचाने की योजना थी, लेकिन भू अर्जन और विस्थापितों की समस्या को लेकर 1 मार्च 2008 को शुरू हुए इस परियोजना का निर्माण कार्य कई बार बाधित हुआ। आंदोलनकारी विस्थापितों ने समय-समय पर कई-कई दिन यहां का कार्य बंद कर दिया। बावजूद इसके धीरे-धीरे यह निर्माण कार्य अब अपने अंतिम चरण में है और झारखंड का सबसे बड़े विद्युत उत्पादन केंद्र के रूप में अपना नाम दर्ज कराने की दिशा में बढ़ रहा है।
पानी व बिजली की बहुलता होगी कोडरमा में
केटीपीपी के अपने लक्ष्य से समीप पहुंचने पर कोडरमावासियों की खुशी का तो ठिकाना ही नहीं है। अब इस जिले में चतुर्दिक विकास का मार्ग डीवीसी ने प्रशस्त कर दिया है। सर्वप्रथम डीवीसी यहां के प्रतिभाशाली बच्चों के लिए हाई टेक शिक्षा पर ध्यान केंद्रित कर रहा है। उसका कारण है कि डीवीसी की सोच है कि वह कोडरमा के होनहार युवकों को अधिक से अधिक रोजगार दे। एक स्किल्ड पैनल तैयार करना चाहता है डीवीसी। इसका लाभ यहां के छात्रों को आने वाले दिनों में मिलेगा। साथ ही, डीवीसी ने यहां पर सामाजिक गतिविधियों को भी तीव्र कर दिया है। हर घर में पानी व बिजली हो, इसकी पूरी प्लानिंग डीवीसी ने कर रखी है। आने वाले दिनों में यहां के लोगों को पानी व बिजली के लिए किसी के पास हाथ नहीं पसारना पड़ेगा। यहां के लोगों की आशाएं अब काफी जग चुकी हैं। डीवीसी को अब यहां के लोगों का पूरा जनसमर्थन मिलने लगा है। आने वाले दिनों में डीवीसी यहां पर विकास की गंगा बहाएगा, इसमें कोई शक नहीं है।

Monday 30 August 2010

तुम मुझे यूं भुला ना पाओगे/ खेम सिंह का झुमरीतिलैया में हुआ अंतिम संस्कार


कोडरमा जिले में भाजपा को शिखर तक पहुंचाने वाले सक्रिय नेता और पत्रकार सरदार खेम सिंह के शव का आज झुमरीतिलैया में अंतिम संस्कार किया गया। उनके पानी टंकी रोड स्थित आवास से दिन के 10 बजे शव यात्रा निकाली गयी और पार्टी के जिला कार्यालय में उन्हें श्रद्धांजलि देने के बाद शव यात्रा पूरे शहर का भ्रमण कर मुक्तिधाम पहुंची जहां उनके पुत्र अमित कुमार ने मुखाग्नि दी। इस अंतिम यात्रा में पार्टी के बरही विधायक उमाषंकर यादव अकेला, बरकट्ठा विधायक अमित यादव, विभिन्न दलों से जुडे लक्ष्मण स्वर्णकार, रवि मोदी, रामचन्द्र सिंह, रामनाथ सिंह, नीतेष चन्द्रवंषी, रमेष हर्षधर, बिरेन्द्र मोदी, विनोद मोदी, सुधीर सिंह, सरयू सिंह, राजवल्लभ शर्मा, विजय साव, शषिभूषण, सुखदेव यादव, बिरेन्द्र सिंह, सुनील यादव, खालिद खलील, परमेष्वर यादव, सुषील अग्रवाल समेत अन्य लोग और कई पत्रकार उपस्थित थे। प्रदेष भाजपा की ओर से पहुंचे प्रदेष मंत्री गणेष मिश्रा ने कहा कि खेम सिंह जनसंघ काल से ही जुडे रहे और वे भाजपा के निष्ठावान कार्यकर्ता थे। विधायक अन्नपूर्णा देवी ने भी आज स्व. खेम सिंह के आवास पर पहुंचकर अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की। यों भी सरदार खेम सिंह को भूल पाना पार्टी कार्यकर्ताओं के लिए आसान नहीं होगा। पूरे राजनीतिक जीवन इनका संघर्षो में व्यतीत हुआ। जनहित के हर मुद्दे पर सक्रिय ढंग से आवाज उठाते थे। पार्टी के सच्चे सिपाही की तरह छोटे से बड़े कार्यक्रमों में हमेशा तत्पर रहने के कारण ही आम जनता में इनकी अलग पहचान थी। मृदुभाषी स्व. सिंह 1977 में जनसंघ से जुड़कर राजनीति की शुरूआत की थी। वर्ष 1980 में हजारीबाग जिला के भाजपा युवा मोर्चा के जिलाध्यक्ष बने। 1985 में श्री सिंह को पार्टी ने भाजपा का जिला उपाध्यक्ष बनाया। वहीं कोडरमा जिला बनने के बाद 1995 में भाजपा का पहला अध्यक्ष खेम सिंह को बनाया गया। इसके पहले वे भाजपा को कोडरमा में गांव-गांव तक पहुंचाने में काफी अहम भूमिका निभाई। चंद कार्यकर्ताओं के साथ ही ग्रामीण इलाकों में पैदल मार्च कर पार्टी को अलग पहचान दिलायी। राज्य गठन के बाद वर्ष 2001 अक्टूबर में इन्हें राज्य अल्पसंख्यक आयोग के उपाध्यक्ष बनाया गया। स्व. सिंह रियाडा के चेयरमैन तथा प्रदेश कार्यसमिति के सदस्य के रूप में लंबे समय तक रहे। वर्तमान में उन्हें चतरा जिले के चुनाव प्रभारी बनाया गया था। श्री सिंह जनता के हित के लिए हमेशा मुखर रहे थे।
अलग राज्य के आंदोलन में जेल गए थे खेम जी
स्व. खेम सिंह पार्टी व जनता के लिए हमेशा आंदोलन करते रहे थे। अलग राज्य की मांगों को लेकर भाजपा द्वारा चलाया गया वनांचल आंदोलन में खेम सिंह सक्रिय भूमिका निभाई थी, जिससे 1997 में 21 दिनों तक उन्हें जेल में रहना पड़ा था। वहीं 1992 में बाबरी मस्जिद ध्वस्त मामले में भी खेम जी को 23 दिनों तक कोडरमा जेल में रहना पड़ा। इतना ही नहीं, पार्टी के विभिन्न कार्यक्रमों में दर्जनों बार इन्हें रेल व जिला पुलिस ने गिरफ्तार किया था।
खेम सिंह के निधन पर जिले में शोक की लहर
भाजपा के वरीय नेता खेम सिंह के निधन पर पूरे जिले में शोक की लहर है। उनका निधन रविवार को रांची के गुरुनानक अस्पताल में हो गया था। वे पिछले कई दिनों से बीमार चल रहे थे। भाजपा सहित सभी राजनीतिक दलों के नेताओं एवं कार्यकर्ताओं ने उनके निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया है। कोडरमा विधायक अन्नपूर्णा देवी ने उनके निधन को जिला के लिए अपूरणीय क्षति बताते हुए कहा कि श्री सिंह शोषितों के आवाज थे। खेम सिंह द्वारा जनहित के लिए किये गए कार्यो को कोडरमा की जनता हमेशा याद रखेगी। वहीं झाविमो नेता प्रणव वर्मा, अनवारूल हक, खालिद खलील, जिलाध्यक्ष बेदु साव ने भी संवेदना व्यक्त करते हुए कहा है कि स्व. सिंह गरीबों के हक के लिए हमेशा संघर्षरत रहे थे। जनहित के मुद्दों पर वे दलगत भावना से ऊपर उठकर काम करते थे। कांग्रेस के निर्मल ओझा, वरीय नेता नारायण वर्णवाल, बुन्देल प्रसाद यादव, माले नेता रामधन यादव, भाकपा नेता महादेव राम, सपा जिलाध्यक्ष श्यामदेव यादव, आजसू नेता अजीत वर्णवाल, झामुमो जिलाध्यक्ष महेश राय ने भी खेम सिंह के निधन पर गहरा शोक व्यक्त करते हुए कहा है कि स्व. सिंह जन-जन के नेता थे। वे भाजपा में रहते हुए भी सभी दलों के कार्यकर्ताओं के दुख-तकलीफ में साथ रहते थे। नेताओं ने कहा है कि कोडरमा जिला के हित के लिए वे हमेशा प्रयासरत रहे थे। यहां की जनता हमेशा उन्हें याद रखेगी।

Wednesday 18 August 2010

एक अंचभा मैंने देखा सावन 2000 में भोले बस गए झारखंड में गंगा बही बिहार में


सावन की तीसरी सोमवारी को झुमरी तिलैया की धार्मिक संगठन श्रीराम संकीर्तन मंडल के तत्वाधान में झरना कुंड से ध्वाजाधारी धाम तक 15 किलोमीटर तक शिवभक्तों की टोली की कतार कावर पद यात्रा में शामिल हुई। कावर पद यात्रा में क्या बच्चे, क्या बूढे, युवक युवतिया, महिलाए लगभग 10 हजार की संख्या में माथे पर ओम नमः शिवाय के पटी एवं कई श्रद्धालु भक्त केसरिया वस्त्रों में इस यात्रा में शामिल हुए। कावर पद यात्रा साढे छः घंटे में ध्वाजाधारी धाम पहुंची, शिव भक्तो ने 777 सीढी चढकर बाबा भोले को जलाभिषेक किया। रास्ते में कई शिव मंदिरों में भक्तो ने दर्षन किया। एवं इस दौरान बाबा भोले शंकर की जय, हर हर महादेव, जय शिव शंभु के गगन भेदी नारो से पुरा अभ्रकांचल गंजं मान होता रहा। इस कावर पद यात्रा एक सुसज्जीत ट्रक में देवी देवाताओं की तस्वीर तथा दूसरे सुसज्जीत ट्रक शिव दरबार, तथा एक सुसज्जित ट्रक में भजन मंडली व टीम शामिल थे। भजन मंडली के कलाकारों द्वारा प्रस्तुत भजन ‘एक अंचबा मैंने देखा सावन 2000 में भोले बस गए झारखंड में गंगा बही बिहार में .’ नाज कावरिया शिव के नगरी , बनके पूजरी रे ., मोर भंगीया के .., न हीं खोवा - मेवा , न ही मिसरी मलाई .., आदि भजनों पर श्रद्धालु भक्त झूमते रहे और भक्ति के सागर गोता लगाते रहें। भजन गायक सतीष भदानी, बबलू सिंह, संतोष गुप्ता, सुरेष गुप्ता, लालजी सिन्हा, बिनोद कुमार, सत्येन्द्र सिंन्हा, नवीन सिन्हा, प्रतिमा कुमारी, खुषबू कुमारी आदि ने बाबा भोले शंकर, वीर हनुमान, माता दुर्गा आदि पर भजन प्रस्तुत कर लोगों को झूमने पर विवश कर दिया। कार्यक्रम को सफल बनाने में राजेष कपसिमे, अरविन्द चैधरी, विमल मोदी, सुरेष गुप्ता, मनोज साव, सत्येन्द्र सिन्हा, मुकेष सिंह, राकेष कपसिमें, राजेष गुप्ता, पप्पू पांडेय, विषाल कपसिमें, संतोष सिंह, बबलू पांडेय, गुड्डू, अमन कपसिमें, राजेन्द्र प्रसाद वर्मा, रवि केषरी, आषीश भदानी, मिथुन सिंह, प्रेम नारायण मेहता, नागेष्वरी देवी , फुलकुमारी देवी, सुजाता देवी, गीता देवी, सीमा देवी, रेखा देवी, मंजू देवी, अनिता देवी, रजनी देवी, तारा देवी, आदि मुख्य रूप से अहम भूमिका निभाई।

Tuesday 17 August 2010

डोमचांच: छापेमारी में 50 लाख का अवैध ढिबरा जब्त, दो गिरफ्तार


पुलिस एवं वन प्रषासन की संयुक्त कार्रवाई में डोमचांच से 50 लाख रूपये के अवैध ढिबरा जब्त किये गये हैं। इस सिलसिले में पुलिस ने दो लोगों को गिरफ्तार भी किया है। जानकारी के अनुसार गुप्त सूचना के आधार पर विभिन्न इलाकों में एसडीपीओ चन्द्रषेखर प्रसाद के नेतृत्व में छापेमारी की गयी। वहीं डोमचांच बाजार के समीपएक आॅटो रिक्षा पर लदे 15 बोरा अवैध अभ्रक को जब्त किया गया। इसके बाद पूछताछ के क्रम में मिले सुराग के आधार पर गोदाम में छिपाकर रखे गये भारी मात्रा में माईका स्क्रैप को जब्त किया गया। साथ हीं गोदाम को सील कर दिया गया है। उक्त गोदाम शम्भू मेहता की बतायी जाती है। वहीं सपही में विनोद यादव और चुरामन यादव के यहां भी छापेमारी की गयी और भारी मात्रा में ढिबरा जब्त किया गया। कुल मिलाकर जब्त माईका स्क्रैप की कीमत लगभग 50 लाख रूपये बतायी जा रही है। इस सिलसिले में काराखूट के शंकर यादव और मोरियावां के धर्मेन्द्र साव को गिरफ्तार भी किया गया है। दोनों आटो चालक बताये जाते हैं और पुलिस उनसे पूछताछ कर रही है। इधर संयुक्त कार्रवाई के दौरान एक षक्तिमान अवैध बोल्डर भी पकडा गया है। इस छापेमारी का नेतृत्व एसडीपीओ चन्द्रषेखर प्रसाद स्वयं कर रहे थे जिसमें कोडरमा थाना प्रभारी षिवप्रकाष सिंह, डोमचांच प्रभारी विनय कुमार सिन्हा और एसआई सुजीत कुमार शामिल थे। बहरहाल छापेमारी के बाद ढिबरा का अवेघ कारोबार करने वाले लोगों में हडकम्प है और कई कारोबारी भूमिगत हो गये हैं।

एक करोड मूल्य के जेवरात चोरी के मामले में एक पकडाया, मुख्य आरोपी फरार

मुम्बई से एक करोड का जेवर लेकर फरार हुए अपराधी रीतलाल यादव को मुम्बई पुलिस ने मरकच्चो थाना प्रभारी रामजी राय व थाना पुलिस के सहयोग से पकडा है। हांलाकि इस मामले में मुख्य आरोपी और रीतलाल के भाई प्रदीप यादव को नहीं पकडा जा सका और वह फरार होे गया। बताया जाता है कि मुम्बई स्थित थाने मालेवाल हील में सुनील साह के आवास पर घरेलू नौकर के रूप में काम करने वाला प्रदीप यादव वहां से तीन बक्सों में एक करोड मूल्य के जेवरात लेकर फरार हो गया। उसका भाई रीतलाल यादव भी मुम्बई में ही टैक्सी चलाने का काम करता था। इस बाबत मुम्बई में दर्ज प्राथमिकी के बाद पुलिस यहां पहुंची और ललकापानी गांव में छापेमारी कर रीतलाल यादव को पकड लिया गया जिसे मुम्बई पुलिस अपने साथ लेती गयी। हांलाकि आरोपी के यहां से चोरी के जेवरात बरामद नहीं हुए पर रीतलाल यादव ने स्वीकार किया कि चोरी के जेवरात को तीन हिस्सों में बांटा गया था और घोडथम्बा के अषोक यादव की मदद से राजधनवार और घोडथम्बा में बेचा गया था। पुलिस मुख्य आरोपी को पकडने के लिये छापेमारी कर रही है।

Sunday 15 August 2010

पुण्यतिथि पर याद किये गए रमेश यादव


एकीकृत बिहार के पूर्व मंत्री व कोडरमा के विधायक स्व. रमेश प्रसाद यादव की 11वीं पुण्यतिथि पर लोगों ने चाराडीह स्थित उनके समाधिस्थल पर श्रद्धासुमन अर्पित किया। मौके पर स्थानीय विधायक व स्व. यादव की पत्नी अन्नपूर्णा देवी समेत उनके परिवार के लोगों ने स्व. यादव के चित्र पर नम आंखों से पुष्प अर्पित किया। श्रद्धांजलि सभा में राजद, भाजपा, झाविमो समेत तमाम दलों के नेता, कार्यकर्ता, जिले के गणमान्य व बुद्धिजीवी लोग शामिल हुए। इस मौके पर झाविमो नेता अनवारूल हक, खालिद खलील, राजद के पूर्व विधायक योगेंद्र बैठा, अध्यक्ष बजरंगी प्रसाद, कोडरमा नगर पंचायत उपाध्यक्ष राजेश कुमार सिंह, मनोज रजक, राजकुमार यादव सहित सैकड़ों लोग शामिल हुए और दिवंगत आत्मा के प्रति श्रद्धांजलि अर्पित की।

Wednesday 14 July 2010

अधिवक्ता की गिरफ्तारी से कोडरमा अधिवक्ता संघ में उबाल

कोडरमा व्यवहार न्यायालय के अधिवक्ता चंद्रोदय कुमार की गिरफ्तारी से संघ में उबाल है। मामले को लेकर बुधवार को अधिवक्ता संघ कोडरमा के कार्यालय में एक आपात बैठक हुई। बैठक की अध्यक्षता संघ के अध्यक्ष जगदीश सलूजा ने की। उक्त बैठक में अधिवक्ताओं ने पुलिस की एकतरफा कार्रवाई के खिलाफ जमकर आग उगली और पुलिस प्रशासन से अविलंब मामले में विपक्षी अनुमंडल कार्यालय के प्रधान लिपिक गणेश सिंह एवं कर्मी मनोज कुमार को गिरफ्तार करने की मांग की। अधिवक्ताओं ने कहा कि एवं अनुमंडल कार्यालय में भ्रष्टाचार का आलम है। यहां एक ही व्यक्ति पिछले दस वर्षो से जमे हुए हैं। कार्यालय में बिना पैसा दिये कोई काम नहीं होता है और इसकी जानकारी सारे पदाधिकारियों को है। अधिवक्ताओं ने गणेश शंकर सिंह एवं मनोज कुमार को अविलंब स्थानांतरण की मांग की। बैठक में अधिवक्ता सत्यनारायण प्रसाद ने कहा कि यहां की पुलिस गुंडों और भ्रष्टाचारियों को तो प्रश्रय देती है और समाज के प्रतिष्ठित अधिवक्ता को गिरफ्तार करती है। चंद्रोदय कुमार के मामले में विपक्षी गणेश सिंह के खिलाफ भी वारंट है, लेकिन पुलिस उसे गिरफ्तार नहीं कर रही है। बैठक में गणेश शंकर सिंह एवं मनोज कुमार का पैरवी नहीं करने का निर्णय और एसपी व एसडीपीओ का विरोध करने का निर्णय लिया गया। बैठक में यह भी निर्णय लिया गया कि जब तक अनुमंडल कार्यालय के प्रधान लिपिक एवं कर्मचारी मनोज कुमार का स्थानांतरण नहीं होता, अनुमंडल कोर्ट का अविधवक्तागण बहिष्कार करेंगे। इस अवसर पर मोहन अंबष्ठ, पन्नालाल जोशी, देवलाल महतो, प्रकाश मोदी, जमुना प्रसाद सुंडी, आत्मानंद पांडेय, अशोक कुमार सिंह, राजकुमार वर्मा, शिवशंकर प्रसाद, राजकुमार सिन्हा, सरयू चंद्र वर्मा, किरण कुमारी, भैया अनूप कुमार, नीरा जायसवाल, सुरेश यादव, रणधीर सिंह, संगीता रानी, अरुण मिश्रा आदि उपस्थित थे।

Tuesday 13 July 2010

ककोलत की उग्र जलधारा से सीढि़यां ध्वस्त हुई


ऐतिहासिक शीतल जलप्रपात पर एक बार फिर संकट के बादल मंडराने लगे हैं। ऐसा मंगलवार को अचानक हुई तेज वर्षा के कारण हुआ है। तेज वर्षा से उग्र हुई जलधारा व पहाड़ियों की पानी से सीढि़यां ध्वस्त हो गयी है। जलप्रपात तक जाने वाली सीढि़यों के बीचों-बीच 40 फीट के गड्ढे हो गये हैं जिसे पार कर जलप्रपात तक पहुंचना पर्यटकों के लिए जान-जोखिम में डालने के समान है। वर्षापात को देखते हुए तत्काल गड्ढे को भर पाना संभव नहीं है। ऐसा पहली बार हुआ, ऐसी भी बात नहीं है। इसके पूर्व वर्ष 07 के जुलाई माह में हुई भारी वर्षा के बाद पहली बार पानी के उग्रधारा ने सीढि़यों को ध्वस्त किया था। तब 60 फीट से अधिक के गड्ढे बन गये थे। जिला प्रशासन ने तब ककोलत जलप्रपात पर स्नान करने पर रोक लगा दिया था। हालांकि उपरोक्त आदेश अब तक लागू है, बावजूद वहां पर्यटकों, मंत्रियों से लेकर अधिकारियों का आना जारी है। पर्यटन विभाग व जिला प्रशासन की उदासीनता को देखते हुए ककोलत विकास परिषद से जुड़े यमुना पासवान के नेतृत्व में युवकों ने गड्ढों को भरने का काम किया तथा पर्यटकों के लिए जलप्रपात तक पहुंचना आसान कर दिया। वर्ष 08-09 में भी उग्र जलधारा ने अपना कमाल दिखाया तथा परिषद के मेहनतों पर पानी फेर दिया। लेकिन परिषद के सदस्य भी हार कहां मानने वाले थे। गड्ढों को भरकर पुन: पर्यटकों के लिए जलप्रपात पर स्नान का द्वार खोल दिया। नतीजा यह रहा कि इस वर्ष राजगीर मलमास मेले के कारण अन्य वर्ष की अपेक्षा भारी मात्रा में देशी-विदेशी पर्यटकों ने ककोलत के शीतल जल का भरपूर आनंद उठाया। मौसम भी इस वर्ष ककोलत का साथ दिया तथा 10 जुलाई तक पर्यटकों के आने का तांता लगा रहा। अचानक 12 जुलाई को हुई भारी वर्षा ने पुन: अपना रौद्र रुप दिखाया तथा एक बार सीढि़यां ध्वस्त तो हुई ही 40 फीट गड्ढे बनने से जलप्रपात तक पहुंचना संभव नहीं रह गया है। इतना ही नहीं तेज वर्षा व जलधारा के बहाव से स्नान कर रहे 3 बच्चे डूबते-डूबते रहे। परिषद के सदस्यों के प्रयास से बच्चों की जान बची। बहरहाल एक बार फिर सीढि़यों के ध्वस्त होने तथा गड्ढे के बनने से इस बार श्रावण माह में आने वाले कांवरियों, पर्यटकों को जलप्रपात का आनंद उठाने व कोल महादेव का जलाभिषेक करने में परेशानियां उठानी पड़ेगी क्योंकि निकट भविष्य में गड्ढों की भराई संभव नहीं है।

सोनी दंपति को है रहमदिल की तलाश


गरीबी और लाचारी के बीच जिगर के टुकड़े को बचाने के लिए जद्दोजहद कर रहा है झुमरीतिलैया सोना पट्टी निवासी सोनी दंपति। शून्य में निहारती इन आंखों को किसी रहमदिल इंसान की तलाश है जो एक मां की गोद को उजड़ने से बचा सके। शासन-प्रशासन से निराश हो चुके हैं, अब आसरा भगवान पर ही है। छह वर्षो से जी-तोड़ मेहनत करते हुए किसी तरह अपने बच्चे को जिंदा रखे हुए हैं। इन्हें भोजन से ज्यादा बच्चे की जान बचाने के लिए खून की जरूरत होती है। मजदूरी करके जीविका चलाने वाले निरंजन कुमार सोनी का छह वर्षीय पुत्र विवेक जन्म से ही थैलेसिमिया नामक बीमारी से ग्रसित है। बच्चे के शरीर में खून नहीं तैयार होता है। सोनी दंपति समेत परिवार के अन्य लोग 8 से 10 दिनों में बच्चे के लिए एक यूनिट खून की तलाश करते हैं। यह सिलसिला पिछले छह वर्षो से चला आ रहा है। श्री सोनी बच्चे को बचाने के खातिर जी-तोड़ मेहनत करते हैं। उनकी पत्‍‌नी बेबी देवी भी मेहनत-मजदूरी करती है। बेबी देवी का इकलौता बेटा है विवेक। एक बेटी भी इससे बड़ी है जो स्वस्थ है। डाक्टरों के अनुसार बेबी देवी अब आगे मां नहीं बन सकती। वहीं विवेक के इलाज में कम से 15 लाख रुपया खर्च आएगा जो इस परिवार के लिए पहाड़ सा है। विवेक का मासूम चेहरा ही माता-पिता का संबल है। इसे देख वे हर गम झेल लेते हैं। इन्हें उम्मीद है कि एक दिन उन्हें कोई रहनुमा अवश्य मिलेगा। बच्चे को मां बेबी देवी हमेशा गले से लगाए रखती है। भगवान से काफी मिन्नत के बाद पुत्र रत्‍‌न की प्राप्ति हुई, लेकिन बदनसीबी ने पीछा नहीं छोड़ा। बच्चे का इलाज के लिए सोनी दंपति एम्स दिल्ली, चेन्नई व अन्य बड़े अस्पतालों का चक्कर काट चुकी है, लेकिन आर्थिक तंगी के कारण इलाज नहीं करा पाई। श्री सोनी दूसरे के दुकान में मजदूरी करते हैं। वहीं उनकी पत्नी भी लाडले के खातिर मजदूरी कर रही है। प्रत्येक 8 से 10 दिन में बच्चे के लिए खून उपलब्ध नहीं हुआ तो स्थिति खराब हो जाएगी। वहीं स्थायी इलाज के लिए 15 लाख रुपये इनके लिए भले पहाड़ सा है, लेकिन हिम्मत नहीं हारी है। श्री सोनी कहते हैं कि जिला प्रशासन से भी मदद की गुहार लगाई, लेकिन निराशा हाथ लगी। मंगलवार को सोनी दंपति एसपी से भी मिलकर अपनी दुखभरी कहानी सुनाई। एसपी ने डीसी से मिलकर वहां आवेदन देने को कहा। बहरहाल,सोनी को यहां से विशेष उम्मीद नहीं है।

Saturday 10 July 2010

पुल निर्माण स्थल से तीन कर्मी अगवा

कोडरमा थानांतर्गत मेघातरी गांव के पास करहरिया नदी पर करीब 4 करोड़ की लागत से निर्माणाधीन पुल निर्माण स्थल से शुक्रवार की शाम 18-20 हथियारबंद अपराधियों ने ठेकेदार के तीन कर्मियों को अगवा कर लिया। अपराधियों ने साइट पर आते ही दहशत पैदा करने के लिए 10-12 राउंड फायरिंग की और मजदूरों व कर्मियों की लाठी डंडे से जमकर पिटाई शुरु कर दी। इससे कई मजदूरों को गंभीर चोटें आयी हैं। वहीं फायरिंग में कई लोग बाल-बाल बच गए। करीब 15-20 मिनट तक उत्पात मचाने के बाद अपराधी तीन कर्मी संजय तिवारी, कृष्णा तिवारी व दिलीप को मारपीट करते हुए साथ लेकर जंगल की ओर चल दिए। इधर, घटना की सूचना मिलने के बाद रात्रि में ही कोडरमा पुलिस ने छापामारी शुरू कर दी है।

Thursday 8 July 2010

पेट के खातिर ढिबरा चुनते मासूम बच्चे


कोडरमा जिले के तिलैया बस्ती के निकट चरकी माइंस में जान हथेली पर रख कर मासूम बच्चे पेट के खातिर ढिबरा (माइका की रद्दी) चुनते हैं. यह एक दिन का काम नहीं है. बल्कि सूरज की किरण फूटते ही तिलैया बस्ती और आस-पास के ग्रामीण इलाकों के कई दर्जन बच्चे ढिबरा चुनने के लिए निकल पड़ते हैं. साथ ही कई बार तो इन्हें दस-दस फीट माइंस की खो में भी उतरना पड़ता है. दिन भर की कड़ी मशक्कत के बाद ये छोटी-छोटी टोकरियों में चार से पांच किलो ढिबरा चुन पाते हैं. जिसे बेचने पर मात्र इन्हें पांच से 10 रुपये तक मिलते हैं. हाथों में कलम खुरपी रहती है जिन मासूम हाथों में किताब, कलम और कॉपी होनी चाहिए, उन हाथों में खुरपी, हथौड़ी और टोकरी होती है. इन बच्चों को देखकर कहा जा सकता है कि घर-घर में शिक्षा का दीप जलाने का शिक्षा विभाग का दावा कोडरमा जिला में कितना कारगर सिद्ध हो रहा है. कई बार तो इन मासूम बच्चों के साथ दुर्घटनाएं भी हो जाती है तथा इन्हें जान भी गंवानी पड़ती है. इन बच्चों से जब पूछा गया तो कहते हैं कि उन्होंने कभी भी स्कूल का मुंह नहीं देखा है. साथ ही अभिभावक भी सब कुछ जानते हुए भी निगाहें फेर कर रखते हैं. उन्हें भी पता है कि ये मासूम बच्चे ढिबरा बेच कर जो कुछ लाते हैं, उनसे किसी प्रकार उनके परिवार का भरण-पोषण होता है.

Saturday 3 July 2010

जेब के साथ सेहत पर भी असर दिखाने लगी महंगाई

मंहगाई कल तक जेब ढीली कर रहा था। आज सेहत पर भी असर दिखा रहा है। इस तल्ख सच्चाई से हर किसी का वास्ता पड़ रहा है। पिछले 25 जून को पेट्रोलियम पदार्थो की कीमतों में वृद्धि हुई जिसके बाद हर घर की रसोई में गहरी उदासी छा गयी। आटा, चावल, दाल, सब्जी, पापड़, तेल, मशाला,दूध,घी आदि सभी दैनिक उपयोग की सभी सामानों के महंगे होने की आशंका जो बन गयी थी। वह आशंका सच साबित हुई। सभी जरूरी सामानों की कीमतें आज 5 से 10 फीसदी तक बढ़ गयी। आय बढ़ी नहीं और जरूरी सामानों की कीमतें बढ़ गयी तो सेहत पर भी इसका कुप्रभाव पड़ना ही है। कल जक जिस रसोई में औसतन प्रतिदिन दो किलोग्राम सब्जी की खपत थी। बढ़ी हुई कीमतों के साथ आज उसमें कटौती की जाने लगी है। यही हाल अन्य सामग्री का भी है। घरेलू महिला मधु कहती हैं कि इतनी तेजी से मंहगाई बढेगी ऐसा कभी सोचा ही नहीं था। वहीं मीनाक्षी श्रीवास्तव कहती हैं रोज-रोज सामानों की कीमत बढ़ेगी तो भला घर का बजट गड़बड़ायेगा ही। आज घर का पूरा मासिक बजट ही गड़बड़ाता दिख रहा है। आय बढ़ने के साधन नहीं है। शिक्षिका मनोरमा कुमारी का कहना है कि अब उपयोग की जाने वाली सामानों में कटौती करनी पड़ रही है। आसमान छूती मंहगाई से निपटने का यही एक उपाय सूझ रहा है। इन महिलाओं की बातों से साफ है कि महगाई अब जेब ढीली करने तक ही नहीं रह गयी बल्कि लोगों के सेहत को भी प्रभावित करने की स्थिति में है। पेट्रोलियम पदार्थो व रसोई गैस की कीमतों में वृद्धि का असर शादी-विवाह पर भी पड़ने लगा है। वाहन संचालकों ने किराया में वृद्धि कर दी है। माल ढुलाई बढ़ने से अन्य जरूरी सामान की कीमतें बढ़ गयी है। जिससे वर हो या वधू पक्ष हर किसी का वजट असंतुलित हो गया है। वैसे भी वर्षात के मौसम में सब्जी सहित अन्य सामग्री की कीमतें कम उपज के कारण बढ़ जाया करती है। रही सही कसर पेट्रोलियम पदार्थो की कीमतों में वृद्धि से पूरी हो गयी है।

Friday 2 July 2010

अधर में लटका हुआ है सौ शैया के सदर अस्पताल का निर्माण


सौ शैया वाला सदर अस्पताल लगभग पॉच सालों से अधर में लटका हुआ है। फंड के अभाव में निर्माण कार्य ने अब तक गति नहीं पकड़ी है। जिले के लोग आज भी अनुमण्डलीय अस्पताल पर निर्भर है। 16 जुलाई 2005 को झाारखंड के तत्कालीन महामहिम सैयद सिब्ते रजी ने सौ शैया वाले सदर अस्पताल की अधारशिला रखी थी तब लगभग पॉच करोड़ रूपये अस्पताल निर्माण पर खर्च होने थे और इसे नियत समय में पूरा किया जाना था। निर्माण पुरा करने की अवधि समाप्त हो चुकी है। 10 अप्रैल, 1994 को कोडरमा जिला का सृजन हुआ था। तभी से यह आवश्यकता महसूस की जा रही थी। फिलवक्त स्थिति यह है कि अनुमण्डलीय अस्पताल को हीं उत्क्रमित कर सदर अस्पताल का दर्जा तो दे दिया गया लेकिन सदर अस्पताल के अनुरूप पदों का सृजन नहीं किया गया। वहीं पुराने पद अभी भी बरकरार है। चिकित्सकों, परामेडिकल कर्मियों का घोर अभाव बना हुआ है। सिविल सर्जन डा0 पी0मोहन से जब इस मुत्तलिक बात की गई तो उन्होने कहा कि विभागीय काम हो रहा है और उसमें स्वास्थ्य प्रशासन का कोई हस्तक्षेप नहीं है। निर्माण कार्य एच0सी0एल0 नामक कम्पनी से करवाई जा रही है कम्पनी के लोग भी परेशान है। कई बार फंड के अभाव में उन्हें निर्माण कार्य रोकना पड़ा है। दुसरी ओर स्वास्थ्य चिकित्सा, शिक्षा एवं परिवार कल्याण मद से सी0 व0 डी0 टाईप क्वार्टर, ए0एन0एम0 ट्रेनिंग सेंटर और सिविल सर्जन कार्यालय का भी निर्माण हो रहा है। इन सबों का शिलान्यास विधायक अन्नपूर्णा देवी ने वर्ष 2008-09 में किया था जो आज पुरी होने की स्थिति में है।

Thursday 1 July 2010

बरसात आते ही बढ़ा रेंगती मौत का खतरा

बरसात का मौसम आते ही रेंगती मौत का खतरा बढ़ गया है। आये दिन सर्पदंश से मौत की खबरें सूनी जा रही है। ग्रामीण क्षेत्रों में सांप काटने के बाद लोग ओझा-गुणी के चक्कर में पड़कर समय गंवा देते हैं। इसके बजाय यदि वे समय पर अस्पताल आए तो मौत से बचाया जा सकता है। बरसात के मौसम में कोबरा, करैत व अन्य जहरीले सांप भी अपने ठिकाने बदलने के लिए भटकते हैं। ऐसे में कोई उसके राह में रूकावट बने तो उसकी खैर नहीं। सांप काटे तो सीधे मरीज को अस्पताल जाना चाहिए, तभी समुचित उपचार संभव हो सकता है। कोडरमा सदर अस्पताल में जहरीले सांपों की दवा भी उपलब्ध है। सिविल सर्जन पी मोहन का कहना है कि यदि हाथ अथवा पैर में सांप काटे तो तत्काल उस अंग को थोड़ी दूर पर धीरे से बांधना चाहिए, ताकि धीरे-धीरे खून का बहाव होता रहे। इसके बाद मरीज को तुरंत अस्पताल लाना चाहिए। सदर अस्पताल में सांप काटने का एंटी स्नेक सीरम दो तरह का उपलब्ध है। उन्होंने कहा कि यदि सांप की पहचान हो जाए तो बेहतर है अन्यथा चिकित्सकों को काफी सावधानी पूर्वक मरीज में होने वाले लक्षण को भांप कर ही दवा देने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि लक्षण पर गौर करके उपचार हो तो रोगी को आसानी से बचाया जा सकता है। इसमें थोड़ा समय जरूर लगता है। उन्होंने कहा कि सांप का इंजेक्शन भी जहरीला ही होता है, ऐसे में जांच कर ही दवा देना चाहिए। प्राइवेट क्लिनिकों में भी इसका इलाज हो सकता है। जहरीला सांप काटने के बाद रोगी के आंख की पपनी, धड़कन, शरीर का तापमान आदि पर गौर करना महत्वपूर्ण होता है। जिसके आधार पर इलाज संभव हो पाता है।

Wednesday 24 March 2010

अंधविश्वास ने ली बालक अमन की जान


6 वर्षीय बालक की हत्या कर बोरे में शव फेंका, नरबलि की सम्भावना
अंधविश्वास ने एक बालक की जान ले ली। कोडरमा जिले के डोमचांच ओपी अंतर्गत पूर्णाडीह से अगवा अमन की हत्या कर दी गयी। रामनवमी के दिन 24 मार्च को पूर्णाडीह गांव से ही 6 वर्षीय अमन का शव बोरे में बन्द करके फेंका हुआ बरामद किया गया। उक्त बालक का सिर मुंडा हुआ था और उसकी हत्या गला रेतकर की गयी थी, ऐसे में घटना के पीछे नरबलि की आषंका सही हो सकती है। पूर्णाडीह निवासी और पत्थर व्यवसायी ईष्वरी साव उर्फ मुंषी का पुत्र अमन 20 मार्च से अचानक अपने घर से ही लापता हो गया था। उसकी काफी खोजबीन की गयी पर कुछ पता नहीं चला और इस बाबत मरकच्चो थाना में एक सनहा भी दर्ज कराया गया था। घटना के एक दिन बाद परिजनों को एक चिट्ठी भी मिली थी जिसमें 90 हजार रूपये की मांग की गयी थी वहीं बच्चे के सही सलामत होने की बात कही गयी थी। यह तो स्पष्ट हो गया था कि बच्चे का अपहरण किया गया है पर पुलिस इस मामले में कोई सुराग पाने में पूरी तरह विफल रही थी। 24 मार्च को दिन में मुषी साव के घर से लगभग 100 मीटर दूर बोरे में बन्द कर बालक के शव को फेंक दिया गया। इससे जहां पूरे परिवार में कोहराम मच गया वहीं शव को देखने से प्रतीत हुआ कि उसकी हत्या के पीछे नरबलि कारण हो सकता है। खोजी कुत्ता को भी मंगाया गया और वह शव बरामदगी स्थल से जाकर मुंषी साव के पडोस के एक घर के पास रूक गया जो ओझा गुणी और भक्तिन का काम करने वाले का घर है। यह भी बताया जाता है कि जिस महिला पर या परिवार पर नरबलि के मकसद से हत्या की आषंका जतायी जा रही है उस महिला ने शव बरामदगी के कुछ समय पहले मुंषी साव की मां से मिलकर रोते हुए बालक के जल्दी ही मिल जाने की बात कही थी। पुलिस ने शक के आधार पर सीताराम पंडित, उसकी मां और अन्य परिजनों को हिरासत में ले लिया। हांलाकि इस मामले में थाना में हत्या का मामला दर्ज किया गया है पर यह बात भी सामने आयी है कि इस मामले में पुलिस की भूमिका सही नहीं रही। यदि बच्चे के लापता होने के बाद पुलिस सक्रिय रहती और मामले को गम्भीरता से लेती तो परिणाम कुछ और हो सकता था, यहां तक की लापता होने और अपहरण की आषंका के बाद भी पडोस के घरों में भी पुलिस ने छानबीन नहीं की थी।

Saturday 20 February 2010

कोडरमा के कई गांवों में दर्जनों लोग पानी से हुए विकलांग


झारखंड बिहार की सीमा पर बसे कोडरमा जिले के कुछ गांव ऐसे हैं जहां पानी के इस्तेमाल से बच्चे और बडे विकलांग हो रहे हैं। ये बदनसीब ऐसे कि पानी का घूंट लेते वक्त उनके हाथ-पैर कांपते हैं। इन गांवों में बडे भी खुद कब की लाठी थामे हैं, अब बच्चों को बैसाखियों के सहारे जिंदगी ढोते देख रहे हैं। कोडरमा घाटी में बसे गाव मेघातरी, उससे सटे विष्नीटिकर और करहरिया को विकास का मुखौटा तो मिल गया, हाल ही में बिजली भी पहुंची लेकिन सालों पुराने फ्लोराइड की अधिकता का अभिशाप आज यहां जनजीवन पर कुंडली मारे बैठा है। आलम यह है कि गाव के दर्जनों बच्चे और बुजुर्ग विकलाग हो चुके हैं। कुछ पढ़े-लिखे ग्रामीणों ने यह दर्द प्रशासन तक पहुंचाया पर कोई परिणाम नहीं निकला। बैसाखी पर लटके युवाओं और बच्चों को देखकर इनका दिल रोता है। गाव छोड़कर शहर में बसना चाहते हैं, लेकिन आर्थिक मजबूरियों की बेड़िया कहीं ज्यादा मजबूत हैं। जिला मुख्यालय कोडरमा से सिर्फ 18 किलोमीटर दूर मेघातरी पंचायत की आबादी करीब ढाई हजार है। पहले जब यहां काफा मात्रा में माइका निकलता था तब क्षयरोग से युवावस्था में ही लोगों की मौत हो जाने से बडी संख्या में महिलाओं के विधवा हो गयी थीं और इसे विधवाओं की बस्ती कहा जाने लगा। अब यहां जल में फ्लोराइड की मात्रा ज्यादा होने के कारण एक के बाद एक ग्रामीण विकलाग होते जा रहे हैं और तीन साल के बच्चों तक के शरीर विकृत हो चुके हैं। पानी की सुविधा के लिए गाव में कई चापानल भी लगाये गये पर स्थिति नहीं सुधरी और नये नये मामले सामने आते रहे हैं। गाव में रहने वाले 28 साल के कुन्दन कहते हैं दो साल पहले अचानक स्थिति बिगडी जिसके बाद कई जगहों पर इलाज करवाया पर ठीक नहीं हो सका। मेघातरी में सत्येन्द्र सागर सिंह का 11 वर्षीय पुत्र रीतिक, जगदीष प्रसाद का 4 वर्षीय पुत्र राजू, सरयू साव का 6 वर्षीय पुत्र दिवाकर पैरों से विकलांग हो चुके हैं। इसी प्रकार करहरिया में जितेन्द्र (13 वर्ष, पिता लक्ष्मण सिंह), संगीता कुमारी (6 वर्ष, पिता विजय सिंह), झलवा (13 वर्ष, पिता स्व. सरयू सिंह), बसंती (12 वर्ष, पिता जेठू सिंह), बिरेन्द्र सिंह (13 वर्ष, पिता कैलू सिंह) भी विकलांगता के अभिषाप से ग्रस्त हैं। बिरेन्द्र की पत्नी सूनीता और लक्ष्मण सिंह की पत्नी लीलवा देवी भी विकलांग हो चुकी है। 13 साल के जितेन्द्र का पैर भी मुड़ चुका है और आज वह लाठी के सहारे चलता है। सामाजिक कार्यकर्ता और मेघातरी निवासी सत्येन्द्र सिंह सागर ने पानी के कारण बच्चों के विकलांग होने की जानकारी सरकारी स्तर पर विभाग को और उच्चाधिकारियों को इसकी जानकारी दी पर अब तक कोई कार्यवाई नहीं हुई। ऐसे में यहां के बच्चे पानी के कारण विकलांग होने और लाठी का सहारा लेने को अभिषप्त हैं। इस बीमारी के संबंध में कोडरमा के एसीएमओ डा. एमए अषरफी से बात करने पर उन्होंने कहा कि यह विटामिन डी या हार्मोन की कमी के कारण भी हो सकता है। पानी में फ्लोराइड की ज्यादा मात्रा भी कारण हो सकता है। उन्होंने बताया कि इसकी जांच के लिये एक टीम गठित की जायेगी जो जल्द ही जांच कर रिपोर्ट देगी और तब इनका इलाज करवाया जा सकेगा।