Saturday 20 February 2010

कोडरमा के कई गांवों में दर्जनों लोग पानी से हुए विकलांग


झारखंड बिहार की सीमा पर बसे कोडरमा जिले के कुछ गांव ऐसे हैं जहां पानी के इस्तेमाल से बच्चे और बडे विकलांग हो रहे हैं। ये बदनसीब ऐसे कि पानी का घूंट लेते वक्त उनके हाथ-पैर कांपते हैं। इन गांवों में बडे भी खुद कब की लाठी थामे हैं, अब बच्चों को बैसाखियों के सहारे जिंदगी ढोते देख रहे हैं। कोडरमा घाटी में बसे गाव मेघातरी, उससे सटे विष्नीटिकर और करहरिया को विकास का मुखौटा तो मिल गया, हाल ही में बिजली भी पहुंची लेकिन सालों पुराने फ्लोराइड की अधिकता का अभिशाप आज यहां जनजीवन पर कुंडली मारे बैठा है। आलम यह है कि गाव के दर्जनों बच्चे और बुजुर्ग विकलाग हो चुके हैं। कुछ पढ़े-लिखे ग्रामीणों ने यह दर्द प्रशासन तक पहुंचाया पर कोई परिणाम नहीं निकला। बैसाखी पर लटके युवाओं और बच्चों को देखकर इनका दिल रोता है। गाव छोड़कर शहर में बसना चाहते हैं, लेकिन आर्थिक मजबूरियों की बेड़िया कहीं ज्यादा मजबूत हैं। जिला मुख्यालय कोडरमा से सिर्फ 18 किलोमीटर दूर मेघातरी पंचायत की आबादी करीब ढाई हजार है। पहले जब यहां काफा मात्रा में माइका निकलता था तब क्षयरोग से युवावस्था में ही लोगों की मौत हो जाने से बडी संख्या में महिलाओं के विधवा हो गयी थीं और इसे विधवाओं की बस्ती कहा जाने लगा। अब यहां जल में फ्लोराइड की मात्रा ज्यादा होने के कारण एक के बाद एक ग्रामीण विकलाग होते जा रहे हैं और तीन साल के बच्चों तक के शरीर विकृत हो चुके हैं। पानी की सुविधा के लिए गाव में कई चापानल भी लगाये गये पर स्थिति नहीं सुधरी और नये नये मामले सामने आते रहे हैं। गाव में रहने वाले 28 साल के कुन्दन कहते हैं दो साल पहले अचानक स्थिति बिगडी जिसके बाद कई जगहों पर इलाज करवाया पर ठीक नहीं हो सका। मेघातरी में सत्येन्द्र सागर सिंह का 11 वर्षीय पुत्र रीतिक, जगदीष प्रसाद का 4 वर्षीय पुत्र राजू, सरयू साव का 6 वर्षीय पुत्र दिवाकर पैरों से विकलांग हो चुके हैं। इसी प्रकार करहरिया में जितेन्द्र (13 वर्ष, पिता लक्ष्मण सिंह), संगीता कुमारी (6 वर्ष, पिता विजय सिंह), झलवा (13 वर्ष, पिता स्व. सरयू सिंह), बसंती (12 वर्ष, पिता जेठू सिंह), बिरेन्द्र सिंह (13 वर्ष, पिता कैलू सिंह) भी विकलांगता के अभिषाप से ग्रस्त हैं। बिरेन्द्र की पत्नी सूनीता और लक्ष्मण सिंह की पत्नी लीलवा देवी भी विकलांग हो चुकी है। 13 साल के जितेन्द्र का पैर भी मुड़ चुका है और आज वह लाठी के सहारे चलता है। सामाजिक कार्यकर्ता और मेघातरी निवासी सत्येन्द्र सिंह सागर ने पानी के कारण बच्चों के विकलांग होने की जानकारी सरकारी स्तर पर विभाग को और उच्चाधिकारियों को इसकी जानकारी दी पर अब तक कोई कार्यवाई नहीं हुई। ऐसे में यहां के बच्चे पानी के कारण विकलांग होने और लाठी का सहारा लेने को अभिषप्त हैं। इस बीमारी के संबंध में कोडरमा के एसीएमओ डा. एमए अषरफी से बात करने पर उन्होंने कहा कि यह विटामिन डी या हार्मोन की कमी के कारण भी हो सकता है। पानी में फ्लोराइड की ज्यादा मात्रा भी कारण हो सकता है। उन्होंने बताया कि इसकी जांच के लिये एक टीम गठित की जायेगी जो जल्द ही जांच कर रिपोर्ट देगी और तब इनका इलाज करवाया जा सकेगा।

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