Wednesday 14 July 2010

अधिवक्ता की गिरफ्तारी से कोडरमा अधिवक्ता संघ में उबाल

कोडरमा व्यवहार न्यायालय के अधिवक्ता चंद्रोदय कुमार की गिरफ्तारी से संघ में उबाल है। मामले को लेकर बुधवार को अधिवक्ता संघ कोडरमा के कार्यालय में एक आपात बैठक हुई। बैठक की अध्यक्षता संघ के अध्यक्ष जगदीश सलूजा ने की। उक्त बैठक में अधिवक्ताओं ने पुलिस की एकतरफा कार्रवाई के खिलाफ जमकर आग उगली और पुलिस प्रशासन से अविलंब मामले में विपक्षी अनुमंडल कार्यालय के प्रधान लिपिक गणेश सिंह एवं कर्मी मनोज कुमार को गिरफ्तार करने की मांग की। अधिवक्ताओं ने कहा कि एवं अनुमंडल कार्यालय में भ्रष्टाचार का आलम है। यहां एक ही व्यक्ति पिछले दस वर्षो से जमे हुए हैं। कार्यालय में बिना पैसा दिये कोई काम नहीं होता है और इसकी जानकारी सारे पदाधिकारियों को है। अधिवक्ताओं ने गणेश शंकर सिंह एवं मनोज कुमार को अविलंब स्थानांतरण की मांग की। बैठक में अधिवक्ता सत्यनारायण प्रसाद ने कहा कि यहां की पुलिस गुंडों और भ्रष्टाचारियों को तो प्रश्रय देती है और समाज के प्रतिष्ठित अधिवक्ता को गिरफ्तार करती है। चंद्रोदय कुमार के मामले में विपक्षी गणेश सिंह के खिलाफ भी वारंट है, लेकिन पुलिस उसे गिरफ्तार नहीं कर रही है। बैठक में गणेश शंकर सिंह एवं मनोज कुमार का पैरवी नहीं करने का निर्णय और एसपी व एसडीपीओ का विरोध करने का निर्णय लिया गया। बैठक में यह भी निर्णय लिया गया कि जब तक अनुमंडल कार्यालय के प्रधान लिपिक एवं कर्मचारी मनोज कुमार का स्थानांतरण नहीं होता, अनुमंडल कोर्ट का अविधवक्तागण बहिष्कार करेंगे। इस अवसर पर मोहन अंबष्ठ, पन्नालाल जोशी, देवलाल महतो, प्रकाश मोदी, जमुना प्रसाद सुंडी, आत्मानंद पांडेय, अशोक कुमार सिंह, राजकुमार वर्मा, शिवशंकर प्रसाद, राजकुमार सिन्हा, सरयू चंद्र वर्मा, किरण कुमारी, भैया अनूप कुमार, नीरा जायसवाल, सुरेश यादव, रणधीर सिंह, संगीता रानी, अरुण मिश्रा आदि उपस्थित थे।

Tuesday 13 July 2010

ककोलत की उग्र जलधारा से सीढि़यां ध्वस्त हुई


ऐतिहासिक शीतल जलप्रपात पर एक बार फिर संकट के बादल मंडराने लगे हैं। ऐसा मंगलवार को अचानक हुई तेज वर्षा के कारण हुआ है। तेज वर्षा से उग्र हुई जलधारा व पहाड़ियों की पानी से सीढि़यां ध्वस्त हो गयी है। जलप्रपात तक जाने वाली सीढि़यों के बीचों-बीच 40 फीट के गड्ढे हो गये हैं जिसे पार कर जलप्रपात तक पहुंचना पर्यटकों के लिए जान-जोखिम में डालने के समान है। वर्षापात को देखते हुए तत्काल गड्ढे को भर पाना संभव नहीं है। ऐसा पहली बार हुआ, ऐसी भी बात नहीं है। इसके पूर्व वर्ष 07 के जुलाई माह में हुई भारी वर्षा के बाद पहली बार पानी के उग्रधारा ने सीढि़यों को ध्वस्त किया था। तब 60 फीट से अधिक के गड्ढे बन गये थे। जिला प्रशासन ने तब ककोलत जलप्रपात पर स्नान करने पर रोक लगा दिया था। हालांकि उपरोक्त आदेश अब तक लागू है, बावजूद वहां पर्यटकों, मंत्रियों से लेकर अधिकारियों का आना जारी है। पर्यटन विभाग व जिला प्रशासन की उदासीनता को देखते हुए ककोलत विकास परिषद से जुड़े यमुना पासवान के नेतृत्व में युवकों ने गड्ढों को भरने का काम किया तथा पर्यटकों के लिए जलप्रपात तक पहुंचना आसान कर दिया। वर्ष 08-09 में भी उग्र जलधारा ने अपना कमाल दिखाया तथा परिषद के मेहनतों पर पानी फेर दिया। लेकिन परिषद के सदस्य भी हार कहां मानने वाले थे। गड्ढों को भरकर पुन: पर्यटकों के लिए जलप्रपात पर स्नान का द्वार खोल दिया। नतीजा यह रहा कि इस वर्ष राजगीर मलमास मेले के कारण अन्य वर्ष की अपेक्षा भारी मात्रा में देशी-विदेशी पर्यटकों ने ककोलत के शीतल जल का भरपूर आनंद उठाया। मौसम भी इस वर्ष ककोलत का साथ दिया तथा 10 जुलाई तक पर्यटकों के आने का तांता लगा रहा। अचानक 12 जुलाई को हुई भारी वर्षा ने पुन: अपना रौद्र रुप दिखाया तथा एक बार सीढि़यां ध्वस्त तो हुई ही 40 फीट गड्ढे बनने से जलप्रपात तक पहुंचना संभव नहीं रह गया है। इतना ही नहीं तेज वर्षा व जलधारा के बहाव से स्नान कर रहे 3 बच्चे डूबते-डूबते रहे। परिषद के सदस्यों के प्रयास से बच्चों की जान बची। बहरहाल एक बार फिर सीढि़यों के ध्वस्त होने तथा गड्ढे के बनने से इस बार श्रावण माह में आने वाले कांवरियों, पर्यटकों को जलप्रपात का आनंद उठाने व कोल महादेव का जलाभिषेक करने में परेशानियां उठानी पड़ेगी क्योंकि निकट भविष्य में गड्ढों की भराई संभव नहीं है।

सोनी दंपति को है रहमदिल की तलाश


गरीबी और लाचारी के बीच जिगर के टुकड़े को बचाने के लिए जद्दोजहद कर रहा है झुमरीतिलैया सोना पट्टी निवासी सोनी दंपति। शून्य में निहारती इन आंखों को किसी रहमदिल इंसान की तलाश है जो एक मां की गोद को उजड़ने से बचा सके। शासन-प्रशासन से निराश हो चुके हैं, अब आसरा भगवान पर ही है। छह वर्षो से जी-तोड़ मेहनत करते हुए किसी तरह अपने बच्चे को जिंदा रखे हुए हैं। इन्हें भोजन से ज्यादा बच्चे की जान बचाने के लिए खून की जरूरत होती है। मजदूरी करके जीविका चलाने वाले निरंजन कुमार सोनी का छह वर्षीय पुत्र विवेक जन्म से ही थैलेसिमिया नामक बीमारी से ग्रसित है। बच्चे के शरीर में खून नहीं तैयार होता है। सोनी दंपति समेत परिवार के अन्य लोग 8 से 10 दिनों में बच्चे के लिए एक यूनिट खून की तलाश करते हैं। यह सिलसिला पिछले छह वर्षो से चला आ रहा है। श्री सोनी बच्चे को बचाने के खातिर जी-तोड़ मेहनत करते हैं। उनकी पत्‍‌नी बेबी देवी भी मेहनत-मजदूरी करती है। बेबी देवी का इकलौता बेटा है विवेक। एक बेटी भी इससे बड़ी है जो स्वस्थ है। डाक्टरों के अनुसार बेबी देवी अब आगे मां नहीं बन सकती। वहीं विवेक के इलाज में कम से 15 लाख रुपया खर्च आएगा जो इस परिवार के लिए पहाड़ सा है। विवेक का मासूम चेहरा ही माता-पिता का संबल है। इसे देख वे हर गम झेल लेते हैं। इन्हें उम्मीद है कि एक दिन उन्हें कोई रहनुमा अवश्य मिलेगा। बच्चे को मां बेबी देवी हमेशा गले से लगाए रखती है। भगवान से काफी मिन्नत के बाद पुत्र रत्‍‌न की प्राप्ति हुई, लेकिन बदनसीबी ने पीछा नहीं छोड़ा। बच्चे का इलाज के लिए सोनी दंपति एम्स दिल्ली, चेन्नई व अन्य बड़े अस्पतालों का चक्कर काट चुकी है, लेकिन आर्थिक तंगी के कारण इलाज नहीं करा पाई। श्री सोनी दूसरे के दुकान में मजदूरी करते हैं। वहीं उनकी पत्नी भी लाडले के खातिर मजदूरी कर रही है। प्रत्येक 8 से 10 दिन में बच्चे के लिए खून उपलब्ध नहीं हुआ तो स्थिति खराब हो जाएगी। वहीं स्थायी इलाज के लिए 15 लाख रुपये इनके लिए भले पहाड़ सा है, लेकिन हिम्मत नहीं हारी है। श्री सोनी कहते हैं कि जिला प्रशासन से भी मदद की गुहार लगाई, लेकिन निराशा हाथ लगी। मंगलवार को सोनी दंपति एसपी से भी मिलकर अपनी दुखभरी कहानी सुनाई। एसपी ने डीसी से मिलकर वहां आवेदन देने को कहा। बहरहाल,सोनी को यहां से विशेष उम्मीद नहीं है।

Saturday 10 July 2010

पुल निर्माण स्थल से तीन कर्मी अगवा

कोडरमा थानांतर्गत मेघातरी गांव के पास करहरिया नदी पर करीब 4 करोड़ की लागत से निर्माणाधीन पुल निर्माण स्थल से शुक्रवार की शाम 18-20 हथियारबंद अपराधियों ने ठेकेदार के तीन कर्मियों को अगवा कर लिया। अपराधियों ने साइट पर आते ही दहशत पैदा करने के लिए 10-12 राउंड फायरिंग की और मजदूरों व कर्मियों की लाठी डंडे से जमकर पिटाई शुरु कर दी। इससे कई मजदूरों को गंभीर चोटें आयी हैं। वहीं फायरिंग में कई लोग बाल-बाल बच गए। करीब 15-20 मिनट तक उत्पात मचाने के बाद अपराधी तीन कर्मी संजय तिवारी, कृष्णा तिवारी व दिलीप को मारपीट करते हुए साथ लेकर जंगल की ओर चल दिए। इधर, घटना की सूचना मिलने के बाद रात्रि में ही कोडरमा पुलिस ने छापामारी शुरू कर दी है।

Thursday 8 July 2010

पेट के खातिर ढिबरा चुनते मासूम बच्चे


कोडरमा जिले के तिलैया बस्ती के निकट चरकी माइंस में जान हथेली पर रख कर मासूम बच्चे पेट के खातिर ढिबरा (माइका की रद्दी) चुनते हैं. यह एक दिन का काम नहीं है. बल्कि सूरज की किरण फूटते ही तिलैया बस्ती और आस-पास के ग्रामीण इलाकों के कई दर्जन बच्चे ढिबरा चुनने के लिए निकल पड़ते हैं. साथ ही कई बार तो इन्हें दस-दस फीट माइंस की खो में भी उतरना पड़ता है. दिन भर की कड़ी मशक्कत के बाद ये छोटी-छोटी टोकरियों में चार से पांच किलो ढिबरा चुन पाते हैं. जिसे बेचने पर मात्र इन्हें पांच से 10 रुपये तक मिलते हैं. हाथों में कलम खुरपी रहती है जिन मासूम हाथों में किताब, कलम और कॉपी होनी चाहिए, उन हाथों में खुरपी, हथौड़ी और टोकरी होती है. इन बच्चों को देखकर कहा जा सकता है कि घर-घर में शिक्षा का दीप जलाने का शिक्षा विभाग का दावा कोडरमा जिला में कितना कारगर सिद्ध हो रहा है. कई बार तो इन मासूम बच्चों के साथ दुर्घटनाएं भी हो जाती है तथा इन्हें जान भी गंवानी पड़ती है. इन बच्चों से जब पूछा गया तो कहते हैं कि उन्होंने कभी भी स्कूल का मुंह नहीं देखा है. साथ ही अभिभावक भी सब कुछ जानते हुए भी निगाहें फेर कर रखते हैं. उन्हें भी पता है कि ये मासूम बच्चे ढिबरा बेच कर जो कुछ लाते हैं, उनसे किसी प्रकार उनके परिवार का भरण-पोषण होता है.

Saturday 3 July 2010

जेब के साथ सेहत पर भी असर दिखाने लगी महंगाई

मंहगाई कल तक जेब ढीली कर रहा था। आज सेहत पर भी असर दिखा रहा है। इस तल्ख सच्चाई से हर किसी का वास्ता पड़ रहा है। पिछले 25 जून को पेट्रोलियम पदार्थो की कीमतों में वृद्धि हुई जिसके बाद हर घर की रसोई में गहरी उदासी छा गयी। आटा, चावल, दाल, सब्जी, पापड़, तेल, मशाला,दूध,घी आदि सभी दैनिक उपयोग की सभी सामानों के महंगे होने की आशंका जो बन गयी थी। वह आशंका सच साबित हुई। सभी जरूरी सामानों की कीमतें आज 5 से 10 फीसदी तक बढ़ गयी। आय बढ़ी नहीं और जरूरी सामानों की कीमतें बढ़ गयी तो सेहत पर भी इसका कुप्रभाव पड़ना ही है। कल जक जिस रसोई में औसतन प्रतिदिन दो किलोग्राम सब्जी की खपत थी। बढ़ी हुई कीमतों के साथ आज उसमें कटौती की जाने लगी है। यही हाल अन्य सामग्री का भी है। घरेलू महिला मधु कहती हैं कि इतनी तेजी से मंहगाई बढेगी ऐसा कभी सोचा ही नहीं था। वहीं मीनाक्षी श्रीवास्तव कहती हैं रोज-रोज सामानों की कीमत बढ़ेगी तो भला घर का बजट गड़बड़ायेगा ही। आज घर का पूरा मासिक बजट ही गड़बड़ाता दिख रहा है। आय बढ़ने के साधन नहीं है। शिक्षिका मनोरमा कुमारी का कहना है कि अब उपयोग की जाने वाली सामानों में कटौती करनी पड़ रही है। आसमान छूती मंहगाई से निपटने का यही एक उपाय सूझ रहा है। इन महिलाओं की बातों से साफ है कि महगाई अब जेब ढीली करने तक ही नहीं रह गयी बल्कि लोगों के सेहत को भी प्रभावित करने की स्थिति में है। पेट्रोलियम पदार्थो व रसोई गैस की कीमतों में वृद्धि का असर शादी-विवाह पर भी पड़ने लगा है। वाहन संचालकों ने किराया में वृद्धि कर दी है। माल ढुलाई बढ़ने से अन्य जरूरी सामान की कीमतें बढ़ गयी है। जिससे वर हो या वधू पक्ष हर किसी का वजट असंतुलित हो गया है। वैसे भी वर्षात के मौसम में सब्जी सहित अन्य सामग्री की कीमतें कम उपज के कारण बढ़ जाया करती है। रही सही कसर पेट्रोलियम पदार्थो की कीमतों में वृद्धि से पूरी हो गयी है।

Friday 2 July 2010

अधर में लटका हुआ है सौ शैया के सदर अस्पताल का निर्माण


सौ शैया वाला सदर अस्पताल लगभग पॉच सालों से अधर में लटका हुआ है। फंड के अभाव में निर्माण कार्य ने अब तक गति नहीं पकड़ी है। जिले के लोग आज भी अनुमण्डलीय अस्पताल पर निर्भर है। 16 जुलाई 2005 को झाारखंड के तत्कालीन महामहिम सैयद सिब्ते रजी ने सौ शैया वाले सदर अस्पताल की अधारशिला रखी थी तब लगभग पॉच करोड़ रूपये अस्पताल निर्माण पर खर्च होने थे और इसे नियत समय में पूरा किया जाना था। निर्माण पुरा करने की अवधि समाप्त हो चुकी है। 10 अप्रैल, 1994 को कोडरमा जिला का सृजन हुआ था। तभी से यह आवश्यकता महसूस की जा रही थी। फिलवक्त स्थिति यह है कि अनुमण्डलीय अस्पताल को हीं उत्क्रमित कर सदर अस्पताल का दर्जा तो दे दिया गया लेकिन सदर अस्पताल के अनुरूप पदों का सृजन नहीं किया गया। वहीं पुराने पद अभी भी बरकरार है। चिकित्सकों, परामेडिकल कर्मियों का घोर अभाव बना हुआ है। सिविल सर्जन डा0 पी0मोहन से जब इस मुत्तलिक बात की गई तो उन्होने कहा कि विभागीय काम हो रहा है और उसमें स्वास्थ्य प्रशासन का कोई हस्तक्षेप नहीं है। निर्माण कार्य एच0सी0एल0 नामक कम्पनी से करवाई जा रही है कम्पनी के लोग भी परेशान है। कई बार फंड के अभाव में उन्हें निर्माण कार्य रोकना पड़ा है। दुसरी ओर स्वास्थ्य चिकित्सा, शिक्षा एवं परिवार कल्याण मद से सी0 व0 डी0 टाईप क्वार्टर, ए0एन0एम0 ट्रेनिंग सेंटर और सिविल सर्जन कार्यालय का भी निर्माण हो रहा है। इन सबों का शिलान्यास विधायक अन्नपूर्णा देवी ने वर्ष 2008-09 में किया था जो आज पुरी होने की स्थिति में है।

Thursday 1 July 2010

बरसात आते ही बढ़ा रेंगती मौत का खतरा

बरसात का मौसम आते ही रेंगती मौत का खतरा बढ़ गया है। आये दिन सर्पदंश से मौत की खबरें सूनी जा रही है। ग्रामीण क्षेत्रों में सांप काटने के बाद लोग ओझा-गुणी के चक्कर में पड़कर समय गंवा देते हैं। इसके बजाय यदि वे समय पर अस्पताल आए तो मौत से बचाया जा सकता है। बरसात के मौसम में कोबरा, करैत व अन्य जहरीले सांप भी अपने ठिकाने बदलने के लिए भटकते हैं। ऐसे में कोई उसके राह में रूकावट बने तो उसकी खैर नहीं। सांप काटे तो सीधे मरीज को अस्पताल जाना चाहिए, तभी समुचित उपचार संभव हो सकता है। कोडरमा सदर अस्पताल में जहरीले सांपों की दवा भी उपलब्ध है। सिविल सर्जन पी मोहन का कहना है कि यदि हाथ अथवा पैर में सांप काटे तो तत्काल उस अंग को थोड़ी दूर पर धीरे से बांधना चाहिए, ताकि धीरे-धीरे खून का बहाव होता रहे। इसके बाद मरीज को तुरंत अस्पताल लाना चाहिए। सदर अस्पताल में सांप काटने का एंटी स्नेक सीरम दो तरह का उपलब्ध है। उन्होंने कहा कि यदि सांप की पहचान हो जाए तो बेहतर है अन्यथा चिकित्सकों को काफी सावधानी पूर्वक मरीज में होने वाले लक्षण को भांप कर ही दवा देने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि लक्षण पर गौर करके उपचार हो तो रोगी को आसानी से बचाया जा सकता है। इसमें थोड़ा समय जरूर लगता है। उन्होंने कहा कि सांप का इंजेक्शन भी जहरीला ही होता है, ऐसे में जांच कर ही दवा देना चाहिए। प्राइवेट क्लिनिकों में भी इसका इलाज हो सकता है। जहरीला सांप काटने के बाद रोगी के आंख की पपनी, धड़कन, शरीर का तापमान आदि पर गौर करना महत्वपूर्ण होता है। जिसके आधार पर इलाज संभव हो पाता है।