Tuesday 13 July 2010
सोनी दंपति को है रहमदिल की तलाश
गरीबी और लाचारी के बीच जिगर के टुकड़े को बचाने के लिए जद्दोजहद कर रहा है झुमरीतिलैया सोना पट्टी निवासी सोनी दंपति। शून्य में निहारती इन आंखों को किसी रहमदिल इंसान की तलाश है जो एक मां की गोद को उजड़ने से बचा सके। शासन-प्रशासन से निराश हो चुके हैं, अब आसरा भगवान पर ही है। छह वर्षो से जी-तोड़ मेहनत करते हुए किसी तरह अपने बच्चे को जिंदा रखे हुए हैं। इन्हें भोजन से ज्यादा बच्चे की जान बचाने के लिए खून की जरूरत होती है। मजदूरी करके जीविका चलाने वाले निरंजन कुमार सोनी का छह वर्षीय पुत्र विवेक जन्म से ही थैलेसिमिया नामक बीमारी से ग्रसित है। बच्चे के शरीर में खून नहीं तैयार होता है। सोनी दंपति समेत परिवार के अन्य लोग 8 से 10 दिनों में बच्चे के लिए एक यूनिट खून की तलाश करते हैं। यह सिलसिला पिछले छह वर्षो से चला आ रहा है। श्री सोनी बच्चे को बचाने के खातिर जी-तोड़ मेहनत करते हैं। उनकी पत्नी बेबी देवी भी मेहनत-मजदूरी करती है। बेबी देवी का इकलौता बेटा है विवेक। एक बेटी भी इससे बड़ी है जो स्वस्थ है। डाक्टरों के अनुसार बेबी देवी अब आगे मां नहीं बन सकती। वहीं विवेक के इलाज में कम से 15 लाख रुपया खर्च आएगा जो इस परिवार के लिए पहाड़ सा है। विवेक का मासूम चेहरा ही माता-पिता का संबल है। इसे देख वे हर गम झेल लेते हैं। इन्हें उम्मीद है कि एक दिन उन्हें कोई रहनुमा अवश्य मिलेगा। बच्चे को मां बेबी देवी हमेशा गले से लगाए रखती है। भगवान से काफी मिन्नत के बाद पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई, लेकिन बदनसीबी ने पीछा नहीं छोड़ा। बच्चे का इलाज के लिए सोनी दंपति एम्स दिल्ली, चेन्नई व अन्य बड़े अस्पतालों का चक्कर काट चुकी है, लेकिन आर्थिक तंगी के कारण इलाज नहीं करा पाई। श्री सोनी दूसरे के दुकान में मजदूरी करते हैं। वहीं उनकी पत्नी भी लाडले के खातिर मजदूरी कर रही है। प्रत्येक 8 से 10 दिन में बच्चे के लिए खून उपलब्ध नहीं हुआ तो स्थिति खराब हो जाएगी। वहीं स्थायी इलाज के लिए 15 लाख रुपये इनके लिए भले पहाड़ सा है, लेकिन हिम्मत नहीं हारी है। श्री सोनी कहते हैं कि जिला प्रशासन से भी मदद की गुहार लगाई, लेकिन निराशा हाथ लगी। मंगलवार को सोनी दंपति एसपी से भी मिलकर अपनी दुखभरी कहानी सुनाई। एसपी ने डीसी से मिलकर वहां आवेदन देने को कहा। बहरहाल,सोनी को यहां से विशेष उम्मीद नहीं है।
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