Thursday 1 July 2010

बरसात आते ही बढ़ा रेंगती मौत का खतरा

बरसात का मौसम आते ही रेंगती मौत का खतरा बढ़ गया है। आये दिन सर्पदंश से मौत की खबरें सूनी जा रही है। ग्रामीण क्षेत्रों में सांप काटने के बाद लोग ओझा-गुणी के चक्कर में पड़कर समय गंवा देते हैं। इसके बजाय यदि वे समय पर अस्पताल आए तो मौत से बचाया जा सकता है। बरसात के मौसम में कोबरा, करैत व अन्य जहरीले सांप भी अपने ठिकाने बदलने के लिए भटकते हैं। ऐसे में कोई उसके राह में रूकावट बने तो उसकी खैर नहीं। सांप काटे तो सीधे मरीज को अस्पताल जाना चाहिए, तभी समुचित उपचार संभव हो सकता है। कोडरमा सदर अस्पताल में जहरीले सांपों की दवा भी उपलब्ध है। सिविल सर्जन पी मोहन का कहना है कि यदि हाथ अथवा पैर में सांप काटे तो तत्काल उस अंग को थोड़ी दूर पर धीरे से बांधना चाहिए, ताकि धीरे-धीरे खून का बहाव होता रहे। इसके बाद मरीज को तुरंत अस्पताल लाना चाहिए। सदर अस्पताल में सांप काटने का एंटी स्नेक सीरम दो तरह का उपलब्ध है। उन्होंने कहा कि यदि सांप की पहचान हो जाए तो बेहतर है अन्यथा चिकित्सकों को काफी सावधानी पूर्वक मरीज में होने वाले लक्षण को भांप कर ही दवा देने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि लक्षण पर गौर करके उपचार हो तो रोगी को आसानी से बचाया जा सकता है। इसमें थोड़ा समय जरूर लगता है। उन्होंने कहा कि सांप का इंजेक्शन भी जहरीला ही होता है, ऐसे में जांच कर ही दवा देना चाहिए। प्राइवेट क्लिनिकों में भी इसका इलाज हो सकता है। जहरीला सांप काटने के बाद रोगी के आंख की पपनी, धड़कन, शरीर का तापमान आदि पर गौर करना महत्वपूर्ण होता है। जिसके आधार पर इलाज संभव हो पाता है।

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