Tuesday 13 July 2010
ककोलत की उग्र जलधारा से सीढि़यां ध्वस्त हुई
ऐतिहासिक शीतल जलप्रपात पर एक बार फिर संकट के बादल मंडराने लगे हैं। ऐसा मंगलवार को अचानक हुई तेज वर्षा के कारण हुआ है। तेज वर्षा से उग्र हुई जलधारा व पहाड़ियों की पानी से सीढि़यां ध्वस्त हो गयी है। जलप्रपात तक जाने वाली सीढि़यों के बीचों-बीच 40 फीट के गड्ढे हो गये हैं जिसे पार कर जलप्रपात तक पहुंचना पर्यटकों के लिए जान-जोखिम में डालने के समान है। वर्षापात को देखते हुए तत्काल गड्ढे को भर पाना संभव नहीं है। ऐसा पहली बार हुआ, ऐसी भी बात नहीं है। इसके पूर्व वर्ष 07 के जुलाई माह में हुई भारी वर्षा के बाद पहली बार पानी के उग्रधारा ने सीढि़यों को ध्वस्त किया था। तब 60 फीट से अधिक के गड्ढे बन गये थे। जिला प्रशासन ने तब ककोलत जलप्रपात पर स्नान करने पर रोक लगा दिया था। हालांकि उपरोक्त आदेश अब तक लागू है, बावजूद वहां पर्यटकों, मंत्रियों से लेकर अधिकारियों का आना जारी है। पर्यटन विभाग व जिला प्रशासन की उदासीनता को देखते हुए ककोलत विकास परिषद से जुड़े यमुना पासवान के नेतृत्व में युवकों ने गड्ढों को भरने का काम किया तथा पर्यटकों के लिए जलप्रपात तक पहुंचना आसान कर दिया। वर्ष 08-09 में भी उग्र जलधारा ने अपना कमाल दिखाया तथा परिषद के मेहनतों पर पानी फेर दिया। लेकिन परिषद के सदस्य भी हार कहां मानने वाले थे। गड्ढों को भरकर पुन: पर्यटकों के लिए जलप्रपात पर स्नान का द्वार खोल दिया। नतीजा यह रहा कि इस वर्ष राजगीर मलमास मेले के कारण अन्य वर्ष की अपेक्षा भारी मात्रा में देशी-विदेशी पर्यटकों ने ककोलत के शीतल जल का भरपूर आनंद उठाया। मौसम भी इस वर्ष ककोलत का साथ दिया तथा 10 जुलाई तक पर्यटकों के आने का तांता लगा रहा। अचानक 12 जुलाई को हुई भारी वर्षा ने पुन: अपना रौद्र रुप दिखाया तथा एक बार सीढि़यां ध्वस्त तो हुई ही 40 फीट गड्ढे बनने से जलप्रपात तक पहुंचना संभव नहीं रह गया है। इतना ही नहीं तेज वर्षा व जलधारा के बहाव से स्नान कर रहे 3 बच्चे डूबते-डूबते रहे। परिषद के सदस्यों के प्रयास से बच्चों की जान बची। बहरहाल एक बार फिर सीढि़यों के ध्वस्त होने तथा गड्ढे के बनने से इस बार श्रावण माह में आने वाले कांवरियों, पर्यटकों को जलप्रपात का आनंद उठाने व कोल महादेव का जलाभिषेक करने में परेशानियां उठानी पड़ेगी क्योंकि निकट भविष्य में गड्ढों की भराई संभव नहीं है।
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