Monday 14 February 2011

शहीदों की चिताओं पर लगेंगे हर बरस मेले..




स्वतंत्रता सेनानी विष्वनाथ मोदी पंचतत्व में हुए विलीन
कोडरमा के तीन बार विधायक रहे और स्वतंत्रता सेनानी विश्वनाथ मोदी सोमवार को पंचतत्व में विलीन हो गये। पूरे राजकीय सम्म्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार झुमरीतिलैया स्थित मुक्तिधाम में हुआ जहां विभिन्न संगठनो, दलो के प्रतिनधियों के साथ ही झुमरीतिलैया के लोग और परिजन मौजूद थे। लम्बे समय से बीमार चल रहे विष्वनाथ मोदी का आज सुबह उनके आवास पर निधन हो गया था। स्व. मोदी वर्ष 1967 में सोषलिस्ट पार्टी, 1969 में सोषलिस्ट पार्टी और 1977 में जनता पार्टी से कोडरमा विधायक चुने गए थे। 1942 के भारत छोड़ो आन्दोलन में उन्होंने कोडरमा, डोमचांच में आन्दोलन का नेतृत्व किया था और हजारीबाग जेल भी गए थे। बताते हैं कि अंग्रेजों ने डोमचांच में उनकी बुरी तरह पिटाई की थी और मृत समझकर फेंक दिया था। परिजनों ने भी ऐसा ही मान लिया था और बाद में जब उनके जिन्दा रहने की खबर आयी थी तो पूरे इलाके में दीये जलाये गए थे। 20 जुलाई 1920 को कोडरमा जिले के गोदखर गांव में जन्मे और होरील मोदी व गिरजा देवी की संतान विष्वनाथ मोेदी ने प्रारंभिक षिक्षा कटहाडीह प्राथमिक विद्यालय और बाद में गुरूकुल बैजनाथधाम में षिक्षा हासिल की थी। 1940 में इन्होंने रामगढ में हुए कांग्रेस अधिवेषन में भी हिस्सा लिया था और बाद में हजारीबाग जेल में जयप्रकाष नारायण के सम्पर्क में आकर समाजवादी हो गये। कोडरमा में वर्ष 1958-59 में जंगल ठीकेदारों के खिलाफफ इन्होंने संघर्ष किया तो वहीं बिहार अबरख मजदूर सभा का गठन कर मजदूरों के लिये लम्बी लडाई लडी। आपातकाल के दौरान भी पहले हजारीबाग और फिर भागलपुर जेल में डेढ साल तक बन्द रहे। 4 मार्च 1978 को उन्होंने डोमचांच में सामूहिक मिटृटी काटो अभियान शुरू किया था जिसमें तत्कालीन मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर और हजारो की संख्या में स्थानीय लोगो ने भाग लिया था। स्व. विष्वनाथ मोदी की पत्नी अम्बिका देवी का पहले ही निधन हो चुका है, वहीं एक पुत्र दामोदर ममोदी का भी दो वर्ष पहले निधन हुआ था। स्व. मोदी अपने पीछे दो पुत्र सुभाष मोदी और विनोद मोदी समेत भरा पूरा परिवार छोड गये हैं।
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मोदी जी को मिला राजकीय सम्मान
कोडरमा जिले में यह पहली बार हुआ कि किसी स्वतंत्रता सेनानी का राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया। आज सुबह जब विष्वनाथ मोदी के निधन की खबर मिली तो राज्य सरकार से राजकीय सम्मान के साथ अंत्येष्टि कराने की मांग की गयी। इसमें कुछ पत्रकारो ने भी अपने स्तर से पहल की और मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा से भी बात की गयी। विधायक अन्नपूर्णा देवी और अमित यादव ने भी हस्तक्षेप किया और राज्य सरकार की ओर से निर्देेष मिलने के बाद कोडरमा डीसी षिवषंकर तिवारी, एसी उदय प्रताप सिंह, एसडीओ षिषिर कुमार सिन्हा, दंडाधिकारी पूर्णचन्द्र कुंकल, एसडीपीओ चन्द्रषेखर प्रसाद, बीडीओ नूतन कुमारी, थाना प्रभारी राजीव रंजन आवास पर पहुंचे। निर्देषों के तहत स्व. मोदी के शव को तिरंगे में लिपटाया गया, वहीं अंतिम संस्कार के समय सषस्त्र सलामी दी गयी और पुलिस बल द्वारा मातमी धुन बजायी गयी। इस दौरान एसडीओ षिषिर कुमार सिन्हा, एसडीपीओ चन्द्रषेखर प्रसाद भी मौजूद थे।
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मुख्यमंत्री नीतिष और मुंडा ने जताया शोक
बिहार विधान सभा कके तीन बार सदस्य रहे और स्वतंत्रता सेनानी विष्वनाथ मोदी के निधन पर बिहार कके मुख्यमंत्री नीतिष कुमार ने गहरा शोक व्यक्त किया है। उन्होंने अपनी शोक संवेदना में स्व. मोदी को जीवन पर्यंत गरीबो और मजदूरों के लिये लडने वाला नेता बताया। वहीं झारखंड के मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा ने भी अपने शोक संवेदना में राजनीति और स्वतंत्रता संग्राम में आगे रहने वाला योद्धा बताया। भाकपा के राज्य सचिव भुनेष्वर प्रसाद मेहता ने शोक संवेदना व्यक्त करते हुए कहा कि विष्वनाथ मोदी ने सदैव गरीबो और मजदूरो के लिये संघर्ष किया। उनके सामाजिक और राजनीतिक योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता है। कोडरमा विधायक अन्नपूर्णा देवी, बरकट्ठा विधायक अमित यादव, राजद के पूर्व प्रदेष अध्यक्ष गौतम सागर राणा, जदयू नेता बटेष्वर ममेहता, अर्जुन यादव, मदजूर नेता प्रभाकर तिवारी आदि ने भी अपनी शोक संवेदना व्यक्त की है। इधर उनकी शव यात्रा में भी गौतम सागर राणा, बटेष्वर मेहता, भाजपा नेता रवि मोेदी, परमेष्वर मोदी, माले नेता श्यामदेव यादव, उदय द्विवेदी, पेंषनर समाज के अध्यक्ष नारायण मोदी, डा. एनके मोदी, केडी यादव, उमेष सिंह, रविन्द्र प्रसाद, अषोक वर्णवाल, कुष्णदेव मोदी, मनोहर मोदी, मुन्ना सुलतानिया, अरूण मोदी, डा. विकास चन्द्रा, सुनील कुमार, कांग्रेस के तुलसी मोदी, आजसू के अजीत वर्णवाल, पत्रकारों में विनोद विष्वकर्मा, संजीव समीर, अमरेन्द्र श्रीवास्तव, सतीष कुमार, मनीष राज, संतोष कुमार आदि भी शामिल हुए।
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लेखक भी थे विष्वनाथ मोदी
जिले में मोदी जी के नाम से प्रसिद्ध विश्वनाथ मोदी ने दो पुस्तकें भी लिखी थीं- 1. पांच बरस में नया हिंदुस्तान कैसे बने 2. बड़े नेताओं के बडे अपराध। पहली पुस्तक उन्होने वर्ष 1978 में लिखी थी जिसमें पांच साल में हिन्दुस्तान को कैसे विकास की पटरी पर लाया जाय, इसकी चर्चा की गयी थी तो वहीं 1999 में लिखी गयी दूसरी पुस्तक में आत्मकथा कहते हुए देष के बडे घोटालों की चर्चा की गयी थी। सोमवार को इस पुस्तक को लोगों ने हाथों हाथ लिया।
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