Monday, 11 December 2017

विशिष्ट पुरातात्विक और धार्मिक स्थल है घोरसीमर का देवघर धाम कोडरमा जिला में और मुख्यालय से 85 कि0 मी0 दूर सतगांवा प्रखंड अन्तर्गत घोरसीमर का देवघर धाम विशिष्ट पुरातात्विक सह धार्मिक स्थल है। प्राकृतिक नजारों से सराबोर देवघर धाम पहाड़, नदी एवं बहुतायत मात्रा में यत्र-तत्र बिखरे पुरातात्विक अवशेषों का चश्मदीद गवाह है। बलखाती सकरी नदी एवं सुसुप्त चट्टानों की जद में अवस्थित पहाड़ धार्मिक स्थली देवघर धाम के रूप में प्रसिद्धी पा रहा है। पहाड़ पर शिव पार्वती की प्रस्तर की मूर्तियां मंदिर में विराजमान है। यहां पर लगभग एक मीटर की गोलाईवाला चार फीट लंबा शिवलिंग है और समीप के बटेश्वर नामक स्थान पर लगभग इसी आकार का एक अन्य शिवलिंग है। भव्य शिवलिंग श्रद्धालुओं को आकर्षित करते हैं। पहाड़ के आसपास तलहट्टी में सैकडों की संख्या में प्रस्तर पर उत्कीर्ण या प्र्रस्तर की मूर्तियां जीर्ण-शीर्ण अवस्था में इधर-उधर बिखरे पड़े हैं। बड़ी-बड़ी शिलाओं पर बेहतरीन ढंग से नक्काशी कर बनाये गए विभिन्न देवी-देवताओं की मूर्तियां प्राचीन शिल्प कला के उत्कृष्ट नमूने की याद दिलाते हैं। यहां पर बिखरे पड़े अवशेषों में शिव के विभिन्न रूपों के अलावा पार्वती, विष्णु, यक्ष-यक्षिणी आदि हैं। अधिकांश मूर्तियों की पहचान अब तक नहीं की जा सकी है। एक किला का अवशेष भी यहां मिला है। संभवतः यह किसी शासक का रहा होगा। भूमि के अंदर भी सैकडों मूर्तियां दबी पड़ी हैं। यदा-कदा खेतों में काम करते वक्त किसानों को प्रस्तर की टूटी-फूटी मूर्तियां प्राप्त होती हैं। इनमें पांच-पांच फीट की शिलाओं पर नक्काशी की कवदंतियों के अनुसार रावण घोरसीमर नामक स्थान में विश्राम के पश्चात् भगवान शंकर को जब यहां से बलपूर्वक ले जाने लगा तो शंकर ने अपना विभिन्न रूप यहां छोड़ दिया और कालांतर में इसका नाम देवघर धाम पडा। यहां सैंकड़ो वर्ष से पूजा-अर्चना की परंपरा चली आ रही है। पूजा-अर्चना करने से मनोवंछित फल की प्राप्ति होती है, ऐसा ग्रामीणों का विश्वास है। यही कारण है कि पूजा-अर्चना, विवाह, मुंडन आदि कार्यों के लिए काफी संख्या में श्रद्धालुओं की भीड़ प्रतिदिन उमड़ती है। शिवरात्रि में मेला का आयेाजन होता है, जिसमें दूर-दूर से लोग आते हैं। देवघर धाम पहुंचने के लिए प्रखंड मुख्यालय एवं गोविन्दपुर सड़क के मध्य से एक अन्य रास्ता तय करना पडता है। हाल ही में पुरातत्व विभाग द्वारा मन्दिर के निकट खुदायी भी करवायी गयी जिसमें छठी सदी के कई अवषेष मिले हैं। इस स्थल को न ही पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जा सका है, फिर भी यह कहना अतिश्योक्तिपूर्ण नहीं होगा कि यह स्थल ऐतिहासिक महत्वों को अपने गर्भ में समेटे हुए है। संभवतः भूस्खलन की चपेट में आकर एक सभ्यता का अंत यहां हुआ है।

Monday, 14 February 2011

शहीदों की चिताओं पर लगेंगे हर बरस मेले..




स्वतंत्रता सेनानी विष्वनाथ मोदी पंचतत्व में हुए विलीन
कोडरमा के तीन बार विधायक रहे और स्वतंत्रता सेनानी विश्वनाथ मोदी सोमवार को पंचतत्व में विलीन हो गये। पूरे राजकीय सम्म्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार झुमरीतिलैया स्थित मुक्तिधाम में हुआ जहां विभिन्न संगठनो, दलो के प्रतिनधियों के साथ ही झुमरीतिलैया के लोग और परिजन मौजूद थे। लम्बे समय से बीमार चल रहे विष्वनाथ मोदी का आज सुबह उनके आवास पर निधन हो गया था। स्व. मोदी वर्ष 1967 में सोषलिस्ट पार्टी, 1969 में सोषलिस्ट पार्टी और 1977 में जनता पार्टी से कोडरमा विधायक चुने गए थे। 1942 के भारत छोड़ो आन्दोलन में उन्होंने कोडरमा, डोमचांच में आन्दोलन का नेतृत्व किया था और हजारीबाग जेल भी गए थे। बताते हैं कि अंग्रेजों ने डोमचांच में उनकी बुरी तरह पिटाई की थी और मृत समझकर फेंक दिया था। परिजनों ने भी ऐसा ही मान लिया था और बाद में जब उनके जिन्दा रहने की खबर आयी थी तो पूरे इलाके में दीये जलाये गए थे। 20 जुलाई 1920 को कोडरमा जिले के गोदखर गांव में जन्मे और होरील मोदी व गिरजा देवी की संतान विष्वनाथ मोेदी ने प्रारंभिक षिक्षा कटहाडीह प्राथमिक विद्यालय और बाद में गुरूकुल बैजनाथधाम में षिक्षा हासिल की थी। 1940 में इन्होंने रामगढ में हुए कांग्रेस अधिवेषन में भी हिस्सा लिया था और बाद में हजारीबाग जेल में जयप्रकाष नारायण के सम्पर्क में आकर समाजवादी हो गये। कोडरमा में वर्ष 1958-59 में जंगल ठीकेदारों के खिलाफफ इन्होंने संघर्ष किया तो वहीं बिहार अबरख मजदूर सभा का गठन कर मजदूरों के लिये लम्बी लडाई लडी। आपातकाल के दौरान भी पहले हजारीबाग और फिर भागलपुर जेल में डेढ साल तक बन्द रहे। 4 मार्च 1978 को उन्होंने डोमचांच में सामूहिक मिटृटी काटो अभियान शुरू किया था जिसमें तत्कालीन मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर और हजारो की संख्या में स्थानीय लोगो ने भाग लिया था। स्व. विष्वनाथ मोदी की पत्नी अम्बिका देवी का पहले ही निधन हो चुका है, वहीं एक पुत्र दामोदर ममोदी का भी दो वर्ष पहले निधन हुआ था। स्व. मोदी अपने पीछे दो पुत्र सुभाष मोदी और विनोद मोदी समेत भरा पूरा परिवार छोड गये हैं।
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मोदी जी को मिला राजकीय सम्मान
कोडरमा जिले में यह पहली बार हुआ कि किसी स्वतंत्रता सेनानी का राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया। आज सुबह जब विष्वनाथ मोदी के निधन की खबर मिली तो राज्य सरकार से राजकीय सम्मान के साथ अंत्येष्टि कराने की मांग की गयी। इसमें कुछ पत्रकारो ने भी अपने स्तर से पहल की और मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा से भी बात की गयी। विधायक अन्नपूर्णा देवी और अमित यादव ने भी हस्तक्षेप किया और राज्य सरकार की ओर से निर्देेष मिलने के बाद कोडरमा डीसी षिवषंकर तिवारी, एसी उदय प्रताप सिंह, एसडीओ षिषिर कुमार सिन्हा, दंडाधिकारी पूर्णचन्द्र कुंकल, एसडीपीओ चन्द्रषेखर प्रसाद, बीडीओ नूतन कुमारी, थाना प्रभारी राजीव रंजन आवास पर पहुंचे। निर्देषों के तहत स्व. मोदी के शव को तिरंगे में लिपटाया गया, वहीं अंतिम संस्कार के समय सषस्त्र सलामी दी गयी और पुलिस बल द्वारा मातमी धुन बजायी गयी। इस दौरान एसडीओ षिषिर कुमार सिन्हा, एसडीपीओ चन्द्रषेखर प्रसाद भी मौजूद थे।
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मुख्यमंत्री नीतिष और मुंडा ने जताया शोक
बिहार विधान सभा कके तीन बार सदस्य रहे और स्वतंत्रता सेनानी विष्वनाथ मोदी के निधन पर बिहार कके मुख्यमंत्री नीतिष कुमार ने गहरा शोक व्यक्त किया है। उन्होंने अपनी शोक संवेदना में स्व. मोदी को जीवन पर्यंत गरीबो और मजदूरों के लिये लडने वाला नेता बताया। वहीं झारखंड के मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा ने भी अपने शोक संवेदना में राजनीति और स्वतंत्रता संग्राम में आगे रहने वाला योद्धा बताया। भाकपा के राज्य सचिव भुनेष्वर प्रसाद मेहता ने शोक संवेदना व्यक्त करते हुए कहा कि विष्वनाथ मोदी ने सदैव गरीबो और मजदूरो के लिये संघर्ष किया। उनके सामाजिक और राजनीतिक योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता है। कोडरमा विधायक अन्नपूर्णा देवी, बरकट्ठा विधायक अमित यादव, राजद के पूर्व प्रदेष अध्यक्ष गौतम सागर राणा, जदयू नेता बटेष्वर ममेहता, अर्जुन यादव, मदजूर नेता प्रभाकर तिवारी आदि ने भी अपनी शोक संवेदना व्यक्त की है। इधर उनकी शव यात्रा में भी गौतम सागर राणा, बटेष्वर मेहता, भाजपा नेता रवि मोेदी, परमेष्वर मोदी, माले नेता श्यामदेव यादव, उदय द्विवेदी, पेंषनर समाज के अध्यक्ष नारायण मोदी, डा. एनके मोदी, केडी यादव, उमेष सिंह, रविन्द्र प्रसाद, अषोक वर्णवाल, कुष्णदेव मोदी, मनोहर मोदी, मुन्ना सुलतानिया, अरूण मोदी, डा. विकास चन्द्रा, सुनील कुमार, कांग्रेस के तुलसी मोदी, आजसू के अजीत वर्णवाल, पत्रकारों में विनोद विष्वकर्मा, संजीव समीर, अमरेन्द्र श्रीवास्तव, सतीष कुमार, मनीष राज, संतोष कुमार आदि भी शामिल हुए।
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लेखक भी थे विष्वनाथ मोदी
जिले में मोदी जी के नाम से प्रसिद्ध विश्वनाथ मोदी ने दो पुस्तकें भी लिखी थीं- 1. पांच बरस में नया हिंदुस्तान कैसे बने 2. बड़े नेताओं के बडे अपराध। पहली पुस्तक उन्होने वर्ष 1978 में लिखी थी जिसमें पांच साल में हिन्दुस्तान को कैसे विकास की पटरी पर लाया जाय, इसकी चर्चा की गयी थी तो वहीं 1999 में लिखी गयी दूसरी पुस्तक में आत्मकथा कहते हुए देष के बडे घोटालों की चर्चा की गयी थी। सोमवार को इस पुस्तक को लोगों ने हाथों हाथ लिया।
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Thursday, 30 December 2010

वर्ष २०१० : कोडरमा जिले के कई मामले चर्चित हुए

कोडरमा जिले के कई मामले वर्ष 2010 में राज्य और देष स्तर पर भी चर्चित हुए। इनमें सर्वाधिक चर्चित मामला निरूपमा की संदेहास्पद मौत और 8 वर्षीय अमन की नरबलि रहा। इसके अतिरिक्त सैनिक स्कूल तिलैया का अष्लील एमएमएस कांड, कोडरमा में सडक दुर्घटना में आठ लोगों की मौत, मेघातरी में राजो लाल और झुमरीतिलैया में दवा विक्रेता चन्द्रषेखर पांडेय की हत्या, मेघातरी में निर्माणाधीन पुल स्थल से तीन लोगों का अपहरण, झुमरीतिलैया से ससुर दामाद का अपहरण की घटना भी काफी चर्चित रही। जियोरायडीह में दो बिरहोर बच्चों और उनकी मां की जलने से हुई मौत का मामला भी राज्य स्तर पर चर्चित रहा। वहीं ढिबरा पर लगे रोक के खिलाफ भाकपा माले के प्रदर्षन और समाहरणालय परिसर में तोडफोड की घटना तो साल के अंत में 334 क्रषरों में तालाबन्दी की घोषणा भी यहां के लोगों में चर्चा का विषय बना। इस साल ग्रामीण सरकार बनने की राह बनी और पंचायत चुनाव ने लगभग दो महीने तक ग्रामीण गतिविधियों को यहीं तक सीमित रखा तो वहीं जून में नगर निकाय चुनाव हुआ जिसमें झुमरीतिलैया और कोडरमा प्रभावित रहा। जयनगर प्रखंड मुख्यालय 4 अक्टूबर को भाजपा कार्यकर्ताओं द्वारा तालाबन्दी की कार्यवाई भी खासी चर्चित हुई। दिसम्बर माह में 26 तारीख को बरियारडीह में ठंढ से दो बिरहोर बच्चों की मौत का मामला भी राज्य स्तर पर चर्चित रहा। इस साल भाजपा नेता खेम सिंह के असामयिक निधन ने भी शहरवासियों को रूलाया।
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समय बीतता गया और उलझती गयी गुत्थी
निरूपमा के मौत की मिस्ट्री छह महीने बीत जाने के बाद भी नहीं सुलझ पायी है। पहले करंट से हुई मौत और फिर उसे फांसी लगाकर आत्महत्या बताये जाने के विवाद और फिर निरूपमा के प्रेमी प्रियभांषु द्वारा उसके आनर किलिंग के आरोप से चर्चित हुए इस मामले में हर बार कुछ नया खुलासे का दावा तो किया जाता रहा है। हांलाकि वह दावा बाद में वहीं तक सिमटकर रह गया। शुरू से पुलिस की गलतियों की वजह से साक्ष्यों में भी छेडछाड होती रही तो वहीं आपाधापी में निरूपमा की मां को हत्या के शक में कोडरमा जेल भेजे जाने से पुलिस की ही किरकिरी हुई। विवादित पोस्टमार्टम रिपोर्ट ने जहां मामले को और उलझाया तो वहीं झुमरीतिलैया में सुधा पाठक और परिजनों के पक्ष में जुलूस निकालकर दबाव बनाने का भी काम हुआ। यानि हर जगह विवादों ने इस मामले को थामे रखा। जांच में सुसाइड नोट की राइटिंग निरुपमा की बताई गई तो उस दुपट्टे से भी महत्वपूर्ण साक्ष्य फॉरेंसिक टीम को हाथ लगने का दावा किया गया, जिस पर झूलकर निरुपमा के जान देने की चर्चा थी।
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अपहरण की घटनायें भी हुई
साल 2010 में जिले में अपहरण की भी कई घटनायें हुई। कोडरमा थानांतर्गत मेघातरी करहरिया पुल निर्माण साइट से गत 9 जुलाई को अगवा किये गए तीन कर्मियों कृष्णा तिवारी, संजय तिवारी और दिलीप मिस्त्री को 10 दिन अपराधियों ने मुक्त किया। वहीं माइका व्यवसायी राधेष्याम मोदी और उनके ससुर झुपरू मोदी के भी अपहरण की घटना हुई। इसके अलावा झुमरीतिलैया से एक बच्चे का अगवा किया गया तो 31 जुलाई को इंदरवा बस्ती से विषुनदेव सिंह के पुत्र प्रिंस का अपहरण किया गया।
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अमन हत्याकांड ने लोगों को झकझोरा
21वीं सदी में भी नरबलि की प्रथा चालू है, कोडरमा जिले के पुरनाडीह में ईष्वर साव के 8 वर्षीय पुत्र अमन का अपहरण कर उसकी नरबलि दे दिये जाने की घटना ने लोगों को झकझोर कर रख दिया। आज भी इस घटना को याद कर लोग सिहर उठते हैं। रामनवमी के दौरान 20 मार्च को गायब हुए अमन की हत्या का राज जब सामने आया तो स्पष्ट हुआ कि गांवों में अंधविष्वास अब भी पूरी तरह कायम है। इस मामले में आठ लोगों को पकडा गया जिनमें बालक के पडोसी भी शामिल हैं। सभी आज भी कोडरमा मंडल कारा में बन्द हैं।

Wednesday, 29 December 2010

ठंड में बिरहोरों की स्थिति हुई दयनीय, नहीं ली किसी ने सुध


सरकार के लाख प्रयास के बावजूद जिले के जंगली क्षेत्र में बसे आदिम जनजाति बिरहोरों की स्थिति नहीं सुधरी है। सरकार द्वारा संचालित कल्याणकारी योजनाओं का लाभ इन्हें सही ढंग से नहीं मिल पा रहा है। इसका ज्यादातर लाभ बिचैलिये उठा रहे हैं। झुमरीतिलैया के सुदूरवर्ती क्षेत्र झरनाकुंड में इस भीषण ठंड में बिरहोरों की स्थिति काफी खराब है। यहां ठंड के कारण कई बिरहोर महिलाएं बीमार हैं। वहीं जयनगर प्रखंड के डंडाडीह के समीप जंगल की तराई में स्थायी रूप से बसे बिरहोर परिवार की स्थिति बदतर बनी हुई है। इन बिरहोरों के पास न तो रहने के लिए घर और न ही सोने के लिए बिस्तर। जमीन पर सोना और दूषित पानी पीना इनकी नियति बन गई है। फटेहाली जिंदगी जीने के लिए ये विवश हैं। कंपकंपाती ठंड से मंगरी बिरहोरिन बीमार है। मंगरी कहती है कि जाड़ा खत्म होय तो कंबलवा सरकार देतय तो का कर बै। भर ठंडा कंपकंपात हिय। वहीं अर्जुन बिरहोर, अशोक बिरहोर, रामेश्वर बिरहोर कहते हैं कि प्रशासन के पास कई बार वो घर के लिए चक्कर काट चुके हैं। उन्होंने कहा कि हम अपने बच्चों को पढ़ाना चाहते हैं परंतु स्कूल की व्यवस्था नहीं है। लोगों ने कहा कि एक माह से ऊपर होने के बाद भी जनवितरण प्रणाली दुकानदार शशिभूषण साव द्वारा अनाज नहीं दिया गया है जिससे भूखमरी के कगार पर हैं। यही हाल गड़ियाई स्थित 25 बिरहोर परिवारों की है। यहां भी ठंड से बिरहोर जनजाति कांप रहे हैं। लकड़ी और रस्सी बेचकर गुजर-बसर कर रहे हैं। डंडाडीह में बीडीओ ने मंगलवार की रात्रि 7 बजे पहुंचकर लोगों के बीच कंबल वितरण किया और बीमार बिरहोरिन मंगरी की स्थिति का जायजा लिया। मंगरी बिरहोरिन ने बताया कि अभी तक कोई चिकित्सक नहीं पहुंचे हैं। इधर, मरकच्चो में पिछले एक सप्ताह से पड़ रही ठिठुरन वाली ठंड से बरियारडीह स्थित बिरहोर कालोनी में दो बच्चों की मौत हो गई थी तथा दर्जन लोग बीमार हो गए थे।

Saturday, 25 December 2010

पावर हब और एजुकेशन हब के रूप में मिलेगी कोडरमा को पहचान


संजीव समीर
कोडरमा, 25 दिसम्बर
कोडरमा के लिए नया वर्ष कई नई सौगातें लेकर आ रहा है। जहां कोडरमा में बांझेडीह पावर प्लांट शुरू होने से यहां रोजगार के अवसर बढेंगे, वहीं कई अन्य योजनाएं भी इस प्लांट के साथ कार्यान्वित होंगी। केटीपीपी के परियोजना निदेशक जी. एन. सिंह ने बताया कि प्लांट शुरू होने के बाद इस क्षेत्र को हरित क्षेत्र परियोजना से जोड़ा जाएगा, जिसके तहत संयत्र की परिधि के सौ मीटर चैड़ा हरित क्षेत्र विकसित किया जाएगा। इसमें वृक्षारोपण व वनीकरण किया जाएगा। इससे प्रदूषण से लोगों को राहत मिलेगी। वहीं इस योजना में आइटीआई कालेज, अस्पताल, स्कूल, मार्केट कांप्लेक्स, हाईटेक कालोनी, बैंक की बिल्डिंग बनाई जाएगी। इन विकास योजनाओं से कोडरमा आने वाले समय में पावर हब के रूप में विकसित होगा तो होगा ही, साथ ही एजुकेशनल हब के रूप में भी जाना जाएगा। फिलहाल, बेहतर चिकित्सा व्यवस्था के लिए कोडरमावासियों को पटना या रांची जाना पड़ता है। यहां पर जिस अस्पताल की परिकल्पना की गई है। वह सभी सुविधाओं से सुसज्जित होगा और यहां के लोगों का बेहतर इलाज यहीं पर मुमकिन हो सकेगा। जहां तक रोजगार की बात है, तो पावर प्लांट में 800 लोगों को रोजगार देने की योजना है। इनके अलावा, ऐसे कई सब-ऑर्डिनेट बनेंगे, जो रोजगार के नए-नए अवसर सृजित करेंगे। विशेषज्ञ के अनुसार अबरख का व्यवसाय बंद हो जाने के बाद कोडरमा में आय का स्रोत बढ़ाने में केटीपीपी का महत्वपूर्ण योगदान होगा। स्कूल और आइटीआई संस्थान की स्थापना से यहां के छात्रों में काफी उत्साह है। उनका मानना है कि बेहतर और तकनीकी शिक्षा के लिए यह संस्थान काफी उपयोगी होगा। फिलहाल, कोडरमा में खनन संस्थान चल रहा है। जहां से तकनीकी शिक्षा प्राप्त कर लोग देश स्तर पर अपना नाम रोशन कर रहे हैं। सुविधाओं का घोर अभाव झेल रहे कोडरमा में केटीपीपी निर्माण के बाद नए वर्ष में नया सवेरा देखने को कोडरमावासी आतुर हैं।
केटीपीपी बनेगा झारखंड का सबसे बड़ा विद्युत उत्पादन केंद्र
केटीपीपी परियोजना झारखंड की सबसे बड़ी विद्युत उत्पादन परियोजना है, जिसका निर्माण कार्य अब अपने अंतिम चरण में हैं। 30 दिसंबर को इतिहास के पन्नों पर अपना नाम दर्ज करवाते हुए इस परियोजना के पहले यूनिट (500 मेगावाट) के ब्लॉयलर की सफलतापूर्वक टेस्टिंग की गई। इसकी चिमनी से निकलते काले धुंएं ने कोडरमा में अंधकार के बाद प्रकाश की शुरूआत कर दी है। झारखंड में फिलवक्त दामोदर घाटी परियोजना (डीवीसी) की पांच परियोजनाएं चल रही हैं, जिनमें तीन पनबिजली विद्युत उत्पादन परियोजना हैं। इनमें मैथन, पंचेत व तिलैया डैम शामिल हैं। मैथन में 60 मेगावाट विद्युत का उत्पादन होता है, जबकि पंचेत से 80 मेगावाट व तिलैया डैम से चार मेगावाट विद्युत का उत्पादन होता है। डीवीसी की अन्य परियोजनाओं में बोकारो थमर्ल पावर से 630 मेगावाट विद्युत उत्पादन होता है, जबकि चंद्रपुरा थर्मल पावर में 390 मेगावाट पुराने यूनिट से और 500 मेगावाट विद्युत नए यूनिट से उत्पादित किया जाता है। वहीं कोडरमा सुपर थर्मल पावर प्लांट की बात करें, तो यहां पर 500-500 मेगावाट की दो यूनिटें निर्माणाधीन हैं, जो इसी वर्ष शुरू हो जायेंगी। शुरूआती दौर में यहां की बिजली दिल्ली में समाप्त हो गए कॉमनवेल्थ में पहुंचाने की योजना थी, लेकिन भू अर्जन और विस्थापितों की समस्या को लेकर 1 मार्च 2008 को शुरू हुए इस परियोजना का निर्माण कार्य कई बार बाधित हुआ। आंदोलनकारी विस्थापितों ने समय-समय पर कई-कई दिन यहां का कार्य बंद कर दिया। बावजूद इसके धीरे-धीरे यह निर्माण कार्य अब अपने अंतिम चरण में है और झारखंड का सबसे बड़े विद्युत उत्पादन केंद्र के रूप में अपना नाम दर्ज कराने की दिशा में बढ़ रहा है।
पानी व बिजली की बहुलता होगी कोडरमा में
केटीपीपी के अपने लक्ष्य से समीप पहुंचने पर कोडरमावासियों की खुशी का तो ठिकाना ही नहीं है। अब इस जिले में चतुर्दिक विकास का मार्ग डीवीसी ने प्रशस्त कर दिया है। सर्वप्रथम डीवीसी यहां के प्रतिभाशाली बच्चों के लिए हाई टेक शिक्षा पर ध्यान केंद्रित कर रहा है। उसका कारण है कि डीवीसी की सोच है कि वह कोडरमा के होनहार युवकों को अधिक से अधिक रोजगार दे। एक स्किल्ड पैनल तैयार करना चाहता है डीवीसी। इसका लाभ यहां के छात्रों को आने वाले दिनों में मिलेगा। साथ ही, डीवीसी ने यहां पर सामाजिक गतिविधियों को भी तीव्र कर दिया है। हर घर में पानी व बिजली हो, इसकी पूरी प्लानिंग डीवीसी ने कर रखी है। आने वाले दिनों में यहां के लोगों को पानी व बिजली के लिए किसी के पास हाथ नहीं पसारना पड़ेगा। यहां के लोगों की आशाएं अब काफी जग चुकी हैं। डीवीसी को अब यहां के लोगों का पूरा जनसमर्थन मिलने लगा है। आने वाले दिनों में डीवीसी यहां पर विकास की गंगा बहाएगा, इसमें कोई शक नहीं है।

Monday, 30 August 2010

तुम मुझे यूं भुला ना पाओगे/ खेम सिंह का झुमरीतिलैया में हुआ अंतिम संस्कार


कोडरमा जिले में भाजपा को शिखर तक पहुंचाने वाले सक्रिय नेता और पत्रकार सरदार खेम सिंह के शव का आज झुमरीतिलैया में अंतिम संस्कार किया गया। उनके पानी टंकी रोड स्थित आवास से दिन के 10 बजे शव यात्रा निकाली गयी और पार्टी के जिला कार्यालय में उन्हें श्रद्धांजलि देने के बाद शव यात्रा पूरे शहर का भ्रमण कर मुक्तिधाम पहुंची जहां उनके पुत्र अमित कुमार ने मुखाग्नि दी। इस अंतिम यात्रा में पार्टी के बरही विधायक उमाषंकर यादव अकेला, बरकट्ठा विधायक अमित यादव, विभिन्न दलों से जुडे लक्ष्मण स्वर्णकार, रवि मोदी, रामचन्द्र सिंह, रामनाथ सिंह, नीतेष चन्द्रवंषी, रमेष हर्षधर, बिरेन्द्र मोदी, विनोद मोदी, सुधीर सिंह, सरयू सिंह, राजवल्लभ शर्मा, विजय साव, शषिभूषण, सुखदेव यादव, बिरेन्द्र सिंह, सुनील यादव, खालिद खलील, परमेष्वर यादव, सुषील अग्रवाल समेत अन्य लोग और कई पत्रकार उपस्थित थे। प्रदेष भाजपा की ओर से पहुंचे प्रदेष मंत्री गणेष मिश्रा ने कहा कि खेम सिंह जनसंघ काल से ही जुडे रहे और वे भाजपा के निष्ठावान कार्यकर्ता थे। विधायक अन्नपूर्णा देवी ने भी आज स्व. खेम सिंह के आवास पर पहुंचकर अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की। यों भी सरदार खेम सिंह को भूल पाना पार्टी कार्यकर्ताओं के लिए आसान नहीं होगा। पूरे राजनीतिक जीवन इनका संघर्षो में व्यतीत हुआ। जनहित के हर मुद्दे पर सक्रिय ढंग से आवाज उठाते थे। पार्टी के सच्चे सिपाही की तरह छोटे से बड़े कार्यक्रमों में हमेशा तत्पर रहने के कारण ही आम जनता में इनकी अलग पहचान थी। मृदुभाषी स्व. सिंह 1977 में जनसंघ से जुड़कर राजनीति की शुरूआत की थी। वर्ष 1980 में हजारीबाग जिला के भाजपा युवा मोर्चा के जिलाध्यक्ष बने। 1985 में श्री सिंह को पार्टी ने भाजपा का जिला उपाध्यक्ष बनाया। वहीं कोडरमा जिला बनने के बाद 1995 में भाजपा का पहला अध्यक्ष खेम सिंह को बनाया गया। इसके पहले वे भाजपा को कोडरमा में गांव-गांव तक पहुंचाने में काफी अहम भूमिका निभाई। चंद कार्यकर्ताओं के साथ ही ग्रामीण इलाकों में पैदल मार्च कर पार्टी को अलग पहचान दिलायी। राज्य गठन के बाद वर्ष 2001 अक्टूबर में इन्हें राज्य अल्पसंख्यक आयोग के उपाध्यक्ष बनाया गया। स्व. सिंह रियाडा के चेयरमैन तथा प्रदेश कार्यसमिति के सदस्य के रूप में लंबे समय तक रहे। वर्तमान में उन्हें चतरा जिले के चुनाव प्रभारी बनाया गया था। श्री सिंह जनता के हित के लिए हमेशा मुखर रहे थे।
अलग राज्य के आंदोलन में जेल गए थे खेम जी
स्व. खेम सिंह पार्टी व जनता के लिए हमेशा आंदोलन करते रहे थे। अलग राज्य की मांगों को लेकर भाजपा द्वारा चलाया गया वनांचल आंदोलन में खेम सिंह सक्रिय भूमिका निभाई थी, जिससे 1997 में 21 दिनों तक उन्हें जेल में रहना पड़ा था। वहीं 1992 में बाबरी मस्जिद ध्वस्त मामले में भी खेम जी को 23 दिनों तक कोडरमा जेल में रहना पड़ा। इतना ही नहीं, पार्टी के विभिन्न कार्यक्रमों में दर्जनों बार इन्हें रेल व जिला पुलिस ने गिरफ्तार किया था।
खेम सिंह के निधन पर जिले में शोक की लहर
भाजपा के वरीय नेता खेम सिंह के निधन पर पूरे जिले में शोक की लहर है। उनका निधन रविवार को रांची के गुरुनानक अस्पताल में हो गया था। वे पिछले कई दिनों से बीमार चल रहे थे। भाजपा सहित सभी राजनीतिक दलों के नेताओं एवं कार्यकर्ताओं ने उनके निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया है। कोडरमा विधायक अन्नपूर्णा देवी ने उनके निधन को जिला के लिए अपूरणीय क्षति बताते हुए कहा कि श्री सिंह शोषितों के आवाज थे। खेम सिंह द्वारा जनहित के लिए किये गए कार्यो को कोडरमा की जनता हमेशा याद रखेगी। वहीं झाविमो नेता प्रणव वर्मा, अनवारूल हक, खालिद खलील, जिलाध्यक्ष बेदु साव ने भी संवेदना व्यक्त करते हुए कहा है कि स्व. सिंह गरीबों के हक के लिए हमेशा संघर्षरत रहे थे। जनहित के मुद्दों पर वे दलगत भावना से ऊपर उठकर काम करते थे। कांग्रेस के निर्मल ओझा, वरीय नेता नारायण वर्णवाल, बुन्देल प्रसाद यादव, माले नेता रामधन यादव, भाकपा नेता महादेव राम, सपा जिलाध्यक्ष श्यामदेव यादव, आजसू नेता अजीत वर्णवाल, झामुमो जिलाध्यक्ष महेश राय ने भी खेम सिंह के निधन पर गहरा शोक व्यक्त करते हुए कहा है कि स्व. सिंह जन-जन के नेता थे। वे भाजपा में रहते हुए भी सभी दलों के कार्यकर्ताओं के दुख-तकलीफ में साथ रहते थे। नेताओं ने कहा है कि कोडरमा जिला के हित के लिए वे हमेशा प्रयासरत रहे थे। यहां की जनता हमेशा उन्हें याद रखेगी।

Wednesday, 18 August 2010

एक अंचभा मैंने देखा सावन 2000 में भोले बस गए झारखंड में गंगा बही बिहार में


सावन की तीसरी सोमवारी को झुमरी तिलैया की धार्मिक संगठन श्रीराम संकीर्तन मंडल के तत्वाधान में झरना कुंड से ध्वाजाधारी धाम तक 15 किलोमीटर तक शिवभक्तों की टोली की कतार कावर पद यात्रा में शामिल हुई। कावर पद यात्रा में क्या बच्चे, क्या बूढे, युवक युवतिया, महिलाए लगभग 10 हजार की संख्या में माथे पर ओम नमः शिवाय के पटी एवं कई श्रद्धालु भक्त केसरिया वस्त्रों में इस यात्रा में शामिल हुए। कावर पद यात्रा साढे छः घंटे में ध्वाजाधारी धाम पहुंची, शिव भक्तो ने 777 सीढी चढकर बाबा भोले को जलाभिषेक किया। रास्ते में कई शिव मंदिरों में भक्तो ने दर्षन किया। एवं इस दौरान बाबा भोले शंकर की जय, हर हर महादेव, जय शिव शंभु के गगन भेदी नारो से पुरा अभ्रकांचल गंजं मान होता रहा। इस कावर पद यात्रा एक सुसज्जीत ट्रक में देवी देवाताओं की तस्वीर तथा दूसरे सुसज्जीत ट्रक शिव दरबार, तथा एक सुसज्जित ट्रक में भजन मंडली व टीम शामिल थे। भजन मंडली के कलाकारों द्वारा प्रस्तुत भजन ‘एक अंचबा मैंने देखा सावन 2000 में भोले बस गए झारखंड में गंगा बही बिहार में .’ नाज कावरिया शिव के नगरी , बनके पूजरी रे ., मोर भंगीया के .., न हीं खोवा - मेवा , न ही मिसरी मलाई .., आदि भजनों पर श्रद्धालु भक्त झूमते रहे और भक्ति के सागर गोता लगाते रहें। भजन गायक सतीष भदानी, बबलू सिंह, संतोष गुप्ता, सुरेष गुप्ता, लालजी सिन्हा, बिनोद कुमार, सत्येन्द्र सिंन्हा, नवीन सिन्हा, प्रतिमा कुमारी, खुषबू कुमारी आदि ने बाबा भोले शंकर, वीर हनुमान, माता दुर्गा आदि पर भजन प्रस्तुत कर लोगों को झूमने पर विवश कर दिया। कार्यक्रम को सफल बनाने में राजेष कपसिमे, अरविन्द चैधरी, विमल मोदी, सुरेष गुप्ता, मनोज साव, सत्येन्द्र सिन्हा, मुकेष सिंह, राकेष कपसिमें, राजेष गुप्ता, पप्पू पांडेय, विषाल कपसिमें, संतोष सिंह, बबलू पांडेय, गुड्डू, अमन कपसिमें, राजेन्द्र प्रसाद वर्मा, रवि केषरी, आषीश भदानी, मिथुन सिंह, प्रेम नारायण मेहता, नागेष्वरी देवी , फुलकुमारी देवी, सुजाता देवी, गीता देवी, सीमा देवी, रेखा देवी, मंजू देवी, अनिता देवी, रजनी देवी, तारा देवी, आदि मुख्य रूप से अहम भूमिका निभाई।