Saturday 3 July 2010

जेब के साथ सेहत पर भी असर दिखाने लगी महंगाई

मंहगाई कल तक जेब ढीली कर रहा था। आज सेहत पर भी असर दिखा रहा है। इस तल्ख सच्चाई से हर किसी का वास्ता पड़ रहा है। पिछले 25 जून को पेट्रोलियम पदार्थो की कीमतों में वृद्धि हुई जिसके बाद हर घर की रसोई में गहरी उदासी छा गयी। आटा, चावल, दाल, सब्जी, पापड़, तेल, मशाला,दूध,घी आदि सभी दैनिक उपयोग की सभी सामानों के महंगे होने की आशंका जो बन गयी थी। वह आशंका सच साबित हुई। सभी जरूरी सामानों की कीमतें आज 5 से 10 फीसदी तक बढ़ गयी। आय बढ़ी नहीं और जरूरी सामानों की कीमतें बढ़ गयी तो सेहत पर भी इसका कुप्रभाव पड़ना ही है। कल जक जिस रसोई में औसतन प्रतिदिन दो किलोग्राम सब्जी की खपत थी। बढ़ी हुई कीमतों के साथ आज उसमें कटौती की जाने लगी है। यही हाल अन्य सामग्री का भी है। घरेलू महिला मधु कहती हैं कि इतनी तेजी से मंहगाई बढेगी ऐसा कभी सोचा ही नहीं था। वहीं मीनाक्षी श्रीवास्तव कहती हैं रोज-रोज सामानों की कीमत बढ़ेगी तो भला घर का बजट गड़बड़ायेगा ही। आज घर का पूरा मासिक बजट ही गड़बड़ाता दिख रहा है। आय बढ़ने के साधन नहीं है। शिक्षिका मनोरमा कुमारी का कहना है कि अब उपयोग की जाने वाली सामानों में कटौती करनी पड़ रही है। आसमान छूती मंहगाई से निपटने का यही एक उपाय सूझ रहा है। इन महिलाओं की बातों से साफ है कि महगाई अब जेब ढीली करने तक ही नहीं रह गयी बल्कि लोगों के सेहत को भी प्रभावित करने की स्थिति में है। पेट्रोलियम पदार्थो व रसोई गैस की कीमतों में वृद्धि का असर शादी-विवाह पर भी पड़ने लगा है। वाहन संचालकों ने किराया में वृद्धि कर दी है। माल ढुलाई बढ़ने से अन्य जरूरी सामान की कीमतें बढ़ गयी है। जिससे वर हो या वधू पक्ष हर किसी का वजट असंतुलित हो गया है। वैसे भी वर्षात के मौसम में सब्जी सहित अन्य सामग्री की कीमतें कम उपज के कारण बढ़ जाया करती है। रही सही कसर पेट्रोलियम पदार्थो की कीमतों में वृद्धि से पूरी हो गयी है।

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